नवरात्रि उत्सव के साथ ही गुरुवार से शहर में बालाजी महोत्सव की भी शुरुआत होगी। इसके तहत भगवान बालाजी नौ दिन तक रथ में सवार होकर रोजाना विभिन्न मार्गों से होते हुए भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। महोत्सव को लेकर महाजनापेठ स्थित प्राचीन बड़े बालाजी मंदिर में पूरी तैयारी हो गई है। श्रीजी के रथों को भी सजा लिया गया है। इन पर सवार होकर ही श्रीजी भक्तों को दर्शन देंगे। प्राचीन बालाजी मंदिर में महोत्सव और रथयात्रा की परंपरा 400 साल से चली आ रही है। मंदिर पुजारी मोहन बालाजीवाले और मंदिर समिति अध्यक्ष आशीष भगत ने बताया रथयात्रा के लिए मंदिर में 45 दिन से रंगरोगन सहित अन्य तैयारी चल रही है। सभी काम पूरे कर लिए गए हैं। गुरुवार सुबह 4 से 8 बजे के बीच बालाजी महाराज का विशेष अभिषेक किया गया। इसके बाद श्रृंगार हुआ। श्रीजी गर्भगृह में सिंहासन पर विराजमान हुए। शाम 4 बजे बालाजी महाराज के मुख्य वाहन गरुड़ जी को मंदिर परिसर स्थित स्तंभ पर विराजित किया जाएगा। मान्यता है कि चित्रा नक्षत्र में गरुड़ जी के विराजमान होने के बाद ही बालाजी महाराज का रथ निकलता है। चित्रा नक्षत्र नवरात्रि के पहले दिन नहीं होता तो रथयात्रा दूसरे दिन निकलती है। आज इस मार्ग पर भक्तों को दर्शन देंगे श्रीजी मंदिर समिति अध्यक्ष आशीष भगत ने बताया गुरुवार को बालाजी महाराज रथ पर हाथी वाहन पर सवार होकर निकलेंगे। रथयात्रा रात 8 बजे मंदिर से शुरू होगी। बालाजी महाराज मंदिर से निकलकर पांडूमल चौराहा, गांधी चौक, फव्वारा चौक और शनि मंदिर मार्ग से होते हुए भक्तों को दर्शन देंगे। रथयात्रा रात 10 बजे फिर मंदिर लौटेगी। दशहरे के एक दिन बाद 13 अक्टूबर से बालाजी महाराज ताप्ती नदी के सतियारा घाट पर अस्थायी मंदिर में विराजित होंगे। यहां तीन दिनी मेला लगेगा। इसमें हजारों भक्त पहुंचकर श्रीजी का दर्शन-पूजन करेंगे। 16 अक्टूबर को चांदनी चौक में मेला लगेगा। यहां भी हजारों भक्त श्रीजी के दर्शन करेंगे। इसके साथ ही मेले का समापन होगा।