हिन्दी शर्म नहीं सम्मान की भाषा:हिन्दी साहित्य भारती की बैठक में वक्ताओं ने जताई चिंता; हिन्दी को विश्व भाषा बनाने के लिया संकल्प

Uncategorized

आधुनिक युग में अंग्रेजी के बढ़ते प्रचलन से बच्चे हिन्दी से दूर होते जा रहे है। हिन्दी बोलने में शर्म महसूस की जा रही है। अंग्रेजी से हिन्दी को कमतर आंका जा रहा है। ऐसे में साहित्य भारती हिन्दी को विश्व और जनसंपर्क की भाषा बनाने का प्रयास कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय संस्था हिन्दी साहित्य भारती की प्रथम बैठक नगर के गायत्री मंदिर सभागार में आयोजित की गई। जिसमें वक्ताओं ने हिन्दी को कमतर आंके जाने पर चिंता जाहिर की। इस बैठक में हिन्दी साहित्य भारती की जिला कार्यकारिणी का गठन कर, जिले में हिन्दी भाषा को विश्व की भाषा बनाने के लिए लोगों तक इसके प्रसार का संकल्प लिया है। विश्व के 36 देशों में कार्य कर रही हिन्दी साहित्य भारती के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, महाकौशल प्रांत अध्यक्ष प्रणय श्रीवास्तव, महामंत्री रामकुमार चतुर्वेदी, शिक्षाविद लता एलकर, नगरपालिका अध्यक्ष भारती ठाकुर, समाजसेवी मीनाबेन चावड़ा, साहित्यकार योगेश चौबे, गायत्री मंदिर ट्रस्टी डॉ. चारूदत्त जोशी सहित अन्य हिन्दी चिंतकों की मौजूदगी में बैठक आहूत की गई। जिसमें बढ़ते अंग्रेजी के प्रचलन और हिन्दी भाषा के ह्रास पर चिंतकों ने चिंता जाहिर की। हिन्दी को विश्व भाषा बनाने की दिशा में एक पहल बालाघाट में हिन्दी साहित्य भारती के माध्यम से हिन्दी को विश्व भाषा बनाने की दिशा में किए जा रहे कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए जिले में संस्था का गठन किया गया। जिसमें अशोक सागर मिश्र अध्यक्ष, महामंत्री अमरसिंह ठाकुर, कोषाध्यक्ष मोहन आचार्य सहित जंबो कार्यकारिणी का गठन किया गया। हिन्दी साहित्य भारती के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ल ने बताया कि हिन्दी में वह शक्ति है जो पूरे विश्व में संप्रेषण का कार्य कर सकती है, जो पूरे विश्व को वासुदेव कुंटुबकम के रूप में स्थापित कर सकती है। विश्व की प्रथम भाषा और जनसंपर्क की भाषा बनाने हिन्दी साहित्य भारती लगातार प्रयासरत है। उत्साहित हिन्दी में ही वह शक्ति पूरे विश्व संप्रेषण का कार्य कर कर सकती है, वासुदेव कुंटुबकम के रूप में स्थापित कर सकती है। वर्तमान में हिन्दी साहित्य भारती अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 36 देशों में काम कर रही है। भले ही संयुक्त राष्ट्र ने इसे मान्यता नहीं दी है लेकिन शोध कार बताते है कि यह विश्व की सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। यह हिन्दी साहित्य भारती के ही प्रयास है कि तकनीकी शिक्षा में हिन्दी भाषा का उपयोग हो रहा है। चिकित्सीय और इंजीनियरिंग में हिन्दी से से अध्ययन कराया जा रहा है।