जिले के पथरिया में संचालित सरकारी कॉलेज के नाम को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र गुरु ने काॅलेज प्रबंधन पर नाम से माधवराव सप्रे का नाम हटाने पर आपत्ति जताते हुए इसे बड़ी लापरवाही बताया है। उन्होंने सरकार से वापस कॉलेज के नाम में माधवराव सप्रे जोड़ने की मांग की है। इस मामले में कॉलेज प्राचार्या का कहना है कि दस्तावेजों में कॉलेज का नाम शासकीय कॉलेज ही लिखा है। हमने नाम नहीं बदला है। इस कॉलेज का लोकार्पण साल 2008 किया गया था। लोकार्पण के शिला पर अतिथियों के नाम के साथ कॉलेज का नाम माधवराव सप्रे शासकीय महाविद्यालय लिखा गया था। हाल ही में कॉलेज में प्राचार्या संध्या पिंपलापुरे ने कॉलेज के नाम का नया बोर्ड लगाया है, उसमें कॉलेज के नाम में केवल शासकीय कॉलेज ही लिखा है। यह जानकारी जब क्षेत्रीय नेताओं तक पहुंची तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताई है। भाजपा नेता राजेंद्र गुरु का कहना है कि जब से कॉलेज खुला है, तब से उसका नाम विख्यात लेखक, हिंदी पत्रकारिता के अग्रणी और इस क्षेत्र में जन्मे माधवराव सप्रे के नाम पर रखा गया था। यह इस क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। प्रदेश सरकार ने ही इस कॉलेज का नाम माधव राव सप्रे रखा था। वर्तमान में जो भी प्रशासन, कॉलेज प्राचार्य या स्टाॅफ इसमें शामिल है, उन्होंने नाम हटाकर गलत किया है। शासन इस नाम को हटाने का आदेश नहीं दे सकती और अगर ऐसा हुआ है तो सरकार अपने इस आदेश को वापस लेकर कॉलेज का नाम माधवराव सप्रे के नाम पर रखें। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो यह हम सबके लिए शर्म की बात होगी। कॉलेज प्राचार्या संध्या पिंपलपुरे का कहना है कि शुरुआत से ही कॉलेज का नाम शासकीय कॉलेज रखा गया था। लोकार्पण पर भले ही किसी ने माधवराव सप्रे का नाम लिखवा दिया हो, लेकिन रिकार्ड में कहीं ऐसा उल्लेख नहीं है। यूजीसी में लिस्टिंग करने के लिए जब नाम भेजा गया था तो हमारे पूर्व प्राचार्य जीपी चौधरी ने भी कॉलेज का नाम शासकीय कॉलेज ही लिखकर भेजा था। इसके लिए कलेक्टर को एक प्रस्ताव भेजा गया है। जिससे कॉलेज का नाम माधवराव सप्रे शासकीय काॅलेज रखा जा सके। प्राचार्या ने कहा जिस तरह की खबरें मिल रही है कि मैंने कॉलेज का नाम बदला है, यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और ना ही मैं नाम बदल सकती हूं। जो नाम पहले से दस्तावेजों में है, उसी नाम को मैंने लिखा है।