तीन सडकें… जो अपने दायरे में दरों को ही नहीं, 3 हजार दिलों को भी जोड़ रही हैं…

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दूर
तक घना जंगल। बिखरे-बिखरे से
गांव। गर कहीं जाना हो, तो अगले
दिन सूरज उगने का इंतजार करना
पड़ता था, क्योंकि शाम हो जाने के
बाद तो घर से निकलना मुश्किल
था। एक तो बियाबान कच्चा रास्ता,
घुप्प अं – 27/09/2024