छठी अनुसूची लागू करने की मांग:सोनम वांगचुक के पैदल मार्च में जयस राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा हुए शामिल

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लेह लद्दाख से शुरू हुए ‘जल-जंगल-जमीन बचाओ, छठी अनुसूची लागू करो’ पैदल मार्च को जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) का पूरा समर्थन प्राप्त हुआ है। इस महत्वपूर्ण जन आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के साथ अब जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजी. लोकेश मुजाल्दा, जयस संस्थापक विक्रम अच्छालिया भी डेलिगेशन के साथ हिमाचल के सियांग में इस मार्च में शामिल हो गए हैं। जयस ने इस मार्च में शामिल होकर लद्दाख के लोगों की जल, जंगल और जमीन से जुड़े अधिकारों की सुरक्षा व हिमालय बचाने के प्रति अपना समर्थन और एकजुटता प्रकट की है। जयस का मानना है कि लद्दाख के लोगों के पारंपरिक और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए 6ठी अनुसूची का लागू होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो उन्हें स्वायत्तता और संसाधनों की रक्षा के लिए आवश्यक कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगी। इस अवसर पर इंजी. लोकेश मुजाल्दा ने कहा, “लद्दाख के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और यहां के स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए यह आंदोलन एक मील का पत्थर साबित होगा। जयस इस संघर्ष में पूरी तरह साथ खड़ा है और देशभर के आदिवासी समाजों को इस महत्वपूर्ण मुद्दे से जोड़ने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।” 2 अक्टूबर को दिल्ली में भी होंगे शामिल। सोनम वांगचुक के नेतृत्व में यह पैदल मार्च लद्दाख के विभिन्न हिस्सों से गुजरते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लद्दाख की विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और पारिस्थितिक संरचना की सुरक्षा के लिए छठी अनुसूची की मांग को उठाएगा। इस मार्च का उद्देश्य लद्दाख की आवाज़ को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाकर संविधान के तहत दी गई संवैधानिक सुरक्षा का आग्रह करना है। पैदल मार्च में जयस डेलिगेशन में जयस राष्ट्रीय सचिव अजय कनोजे, जयस छात्र संगठन मध्यप्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल बघेल, इंदौर जिला अध्यक्ष पवन डावर, संजू सोलंकी, मनोज मुजाल्दे, रविन्द्र रावत, सुरेश मुजाल्दे, पवन अहिरवार, विशाल बड़ोले, मयूर परमार, संदीप, राहुल गोलू सहित अन्य जयस कार्यकर्ता शामिल हुए।