9 सितंबर को एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला अपने नाती के साथ बिहार से गुजरात जा रही थी। जैसे ही ट्रेन जबलपुर के मदन महल रेलवे स्टेशन पहुंची, तभी बुजुर्ग महिला और उसका नाती जो कि ट्रेन के जनरल डिब्बे में सफर कर रहे थे, बोतल में पानी भरने के लिए उतरते है, तभी ट्रेन चल पड़ती है। लड़का तो दौड़कर ट्रेन में चढ़ जाता है, पर बुजुर्ग महिला स्टेशन में ही रह जाती है। दादी ट्रेन में नहीं चढ़ पाई है, यह जानकारी उसके पोते को तब लगती है जब ट्रेन गोटेगांव तक पहुंच जाती है। नाती दूसरी ट्रेन से वापस मदन महल आता है और बुजुर्ग दादी को बहुत तलाश करता है, पर वह नहीं मिलती। थक हार लड़का वापस अपने घर बिहार चले जाता है। इधर बुजुर्ग महिला जबलपुर में भटकते-भटकते सैनिक सोसायटी पहुंच जाती है। 10 सितंबर को पुलिस की नजर महिला पर पड़ती है। बातचीत की जाती है तो वह सिर्फ इतना बता पाती है कि सिकंदरा थाना के पास रहती है, इसके अलावा कुछ भी पता नहीं था। गढ़ा पुलिस महिला को मेडिकल स्थित वृद्धाश्रम में पहुंचा देती है। पूछताछ में महिला अपना नाम द्रौपदी बाई बताती है। वृद्धा आश्रम में महिला से जब बातचीत की जाती है तो वह सिर्फ इतना बता पा रही थी कि सिकंदरा थाना के पास ही उसका घर है। इतने बड़े बिहार में यह थाना कहां पर है, इसका पता ना ही गढ़ा पुलिस को पता था, और ना ही वृद्धाश्रम में रहने वाले अधिकारियों को। द्रौपदी बाई आश्रम में रह रही थी। उम्मीद की जा रही थी कि एक दो दिन में परिवार वाले जबलपुर पुलिस से संपर्क करेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। गढ़ा पुलिस के साथ-साथ जबलपुर के एक युवा पत्रकार सुनील सेन 13 सितंबर को बुजुर्ग महिला के पास गए, तब भी द्रौपदी बाई का कहना था कि उसे सिर्फ सिकंदरा थाना पता है। इसके बाद थाना प्रभारी नीलेश दोहरे और पत्रकार सुनील सेन ने गूगल में बिहार सिकंदरा सर्च किया तो थाने का नाम और नंबर मिल गया। वहां के थाना प्रभारी से बुजुर्ग महिला को लेकर पतासाजी की गई पर कोई बी मदद सिकंदरा थाने से नहीं मिल पाई।
पत्रकार सुनील ने अब गूगल से पता किया कि सिकंदरा थाना किस जिले में आता है, तो जानकारी लगी कि जमुई जिला है। इसके बाद जिले के एसपी का नंबर लेकर उनसे महिला द्रौपदी बाई की पूरी कहानी बताई। एसपी ने थोड़ा जानकारी देने के लिए थोड़ा समय मांगा। कुछ देर बात सिकंदरा थाना प्रभारी को फोन सुनील सेन के मोबाइल में पर आता है, जहां बताया जाता है कि उनके ही थाना अंतर्गत क्षेत्र में 82 वर्षीय द्रोपदी बाई रहा करती है, और अपने बेटे से मिलने जब गुजरात जा रही थी तब जबलपुर में ट्रेन से उतरने के कारण गुम गई थी। सुनील ने टीआई को बताया कि जबलपुर के मेडिकल वृद्धाश्रम में सकुशल रह रही है। थाना प्रभारी ने तुरंत ही बुजुर्ग महिला के परिजनों को गढ़ा पुलिस और पत्रकार का नंबर दिया। 16 सितंबर को बुजुर्ग महिला द्रोपदी बाई के नाती सोनू और सुनील जबलपुर पहुंचे, जहां देखा कि उनकी दादी वृद्धाश्रम में रह रही है। अपने नाती को देखकर बुजुर्ग खुश हो गई। द्रोपदी बाई के नाती ने बताया कि उन्हें हिंदी भाषा अच्छे से नहीं आती है, इस वजह से वह अपने घर का पता नहीं बता पा रही थी। उन्होंने बताया कि महिला के बेटे गुजरात में काम करते है, और उन्ही से मिलने के लिए जा रही थी, उसी दौरान ट्रेन से उतरकर जब स्टेशन में पीने का पानी भर रही थी, तब ट्रेन चल पड़ी। फिलहाल सोमवार की रात को द्रोपदी बाई अपने नाती के साथ बिहार जमुई के लिए रवाना हो गई।