बुंदेलखंड राज्य निर्माण की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। सोमवार को बुंदेलखंड राज्य सेवा संघ की ओर से इस संबंध में बैठक आयोजन किया गया। इस दौरान बुंदेलखंड राज्य बनाए जाने की मांग की गई। बैठक के मुख्य अतिथि राजेंद्र अध्वर्यु ने बताया कि कार्यक्रम में अभियान के संयोजक महेंद्र कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि बुंदेलखंड राज्य की मांग आजादी के पहले से चल रही है। 30 जनवरी 1943 को ओरछा के महाराज वीर सिंह जू देव ने ओरछा सेवा संघ की बैठक में बुंदेलखंड राज्य निर्माण का प्रस्ताव पास किया था। उन्होंने 17 दिसम्बर 1947 में इस शर्त के साथ उत्तरदायी शासन सौंपा था कि बुंदेलखंड राज्य बनाना होगा। 34 रियासतों को मिलाकर 2 अप्रैल 1948 को बुंदेलखंड राज्य का गठन किया था और राजधानी नौगांव बनाई थी। कामता प्रसाद सक्सेना को मुख्यमंत्री बनाया गया था। साथ ही बघेल खण्ड राज्य का गठन भी हुआ था। इसके बाद बुंदेलखंड और बघेल खण्ड का विलय कर विन्ध्य प्रदेश बनाया गया। 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने बुंदेलखंड राज्य का अस्तित्व समाप्त कर मध्य प्रदेश बना दिया। तब से लगातार हम बुंदेलखंड राज्य निर्माण की लड़ाई लड़ रहे हैं। राजेंद्र अध्वर्यू ने बताया कि 1968 में सागर में बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए बहुत बड़ा राजनैतिक सम्मेलन हुआ था। इसके बाद 1970 में बुंदेलखंड राज्य निर्माण की मांग उठाई गई। 1989 में नौगांव में शंकरलाल ने बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा का गठन कर पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण की आवाज बुलंद की। इसके बाद राजा बुंदेला,भानू सहाय, महेंद्र कुमार विश्वकर्मा बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनकी रही उपस्थिति बाबूलाल द्विवेदी, एमपी चतुर्वेदी, जवाहर लाल यादव, कौशल किशोर भट्ट, पवन घुवारा, सुधीर बजाज, प्रमोद खरे, बृजकिशोर तिवारी, बृजकिशोर पटेरिया, रघुवीर तोमर, ओपी त्रिपाठी, शील चन्द्र जैन सहित अन्य लोग मौजूद रहे।