मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि बाबा महाकाल की नगरी अवंतिका अनंत है। यह नगरी हर काल और हर युग में अपने गुणों,कीर्ति और प्रसिद्धि से सदैव अलंकृत होती आ रही है। भारत विश्व का सबसे बड़ा और गौरवशाली लोकतंत्र है, जिसके तीन आधार स्तंभों में न्यायपालिका प्रमुख आधार स्तंभ है, जो महाराजा विक्रमादित्य की न्यायप्रियता के समान हमारी ताकत को कई गुना बढ़ाती है। महाराजा विक्रमादित्य की न्याय और समानता से प्रेरित सरकार सभी वर्गों के कल्याण के लिए कृत संकल्पित है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को उज्जैन के शिप्रा तट के ऊपर स्थित रामानुजकोट आश्रम में आयोजित समतामूर्ति अलंकरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. यादव और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जीके महेश्वरी को रामानुज कोट के धर्माचार्य संत स्वामी गादी महाराज द्वारा समतामूर्ति अलंकरण से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ यादव द्वारा पीठाधीश्वर स्वामी रंगनाथाचार्य महाराज सहित अन्य धर्माचार्यो को पुष्पमाला और अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संत-महात्मा व धर्माचार्य भी मौजूद थे। रामानुज महाराज ने जनसेवा का मार्ग दिखाया कार्यक्रम में संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि स्वामी रामानुज महाराज ने अपने अलौकिक दर्शन से सनातन धर्म के संरक्षण के साथ मानव से मानव को जोड़कर जनसेवा का मार्ग भी दिखाया है। समाज में आने वाली विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भी स्वामी जी द्वारा भक्ति मार्ग का निरंतर प्रसार किया गया, जिसकी अविरल धारा आज भी प्रवाहित हो रही है। देवीय कृपा से ही महत्वपूर्ण पद मिलता है कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जीके माहेश्वरी ने कहा कि समानता हमारे सनातन संस्कृति में वेद पुराणों के साथ हमारे संविधान में भी उल्लेखित है। भारत के संविधान में समानता का अधिकार मानव को प्राप्त पहला अधिकार हैं। ईश्वर का समभाव भी सभी के लिए समान है। अगर कोई व्यक्ति महत्वपूर्ण पद पर आसीन होता है तो वहां बिना देवीय कृपा के संभव नहीं है। ईश्वर ने ही उसे जनहित के लिए चुना है। इसीलिए उसे सदैव मानव सेवा के कार्य में संलग्न रहना चाहिए।