आत्महत्या की रोकथाम के लिए कार्यशाला:युवाओं को मानसिक तौर से मजबूत होने का दिया संदेश

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हर साल की तरह इस वर्ष भी 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर मंगलवार को जिला चिकित्सालय द्वारा रेडक्रॉस भवन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को वरिष्ठ मनो-चिकित्सक स्वाति वाधवा ने संबोधित किया। इस दौरान मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिनेश प्रसाद, सिविल सर्जन डॉ. महेंद्र पाटिल, डॉ. संगीता भारती मंचासीन रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप-प्रज्वलन से की गई। इस दौरान मनोचिकित्सक डॉ. वाधवा के ओर से देश दुनिया में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों पर विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही खास तौर से युवाओं में आत्महत्या को लेकर चिंता जाहिर की। इस तरह के हालात से कैसे निपटना है। इस बारे में भी मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा- लगातार आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही है। जिसका मुख्य कारण यह है कि मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर लोग तनाव में आ जाते है। उन्होंने कहा कि मोबाइल से अधिकतर मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। तनाव पर नियंत्रण नहीं कर पाने के कारण लोग आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं। वर्तमान समय में आत्महत्या जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही है युवा पीढ़ी को शारीरिक खेल कूद, अच्छी पुस्तकें पढ़ने, घर परिवार और मित्र के साथ अपनी परेशानी शेयर करना चाहिए।उनके साथ वक्त भी बिताना चाहिए कार्यशाला के दौरान युवाओं को समझाया गया कि एक शरीर में एक स्वस्थ मन होता है। इस वजह से दिनचर्या अच्छी होनी चाहिए किसी भी तरह के तनाव और प्रताड़ना से प्रताड़ित होकर आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाना चाहिए हर परेशानी का समाधान होता है। शरीर बीमार होने पर भी तनाव उत्पन्न होता है इसलिए स्वस्थ रहने का प्रयास करें। इस अवसर पर आत्महत्या की घटनाओं की रोकथाम की थीम पर चित्रकला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। वरिष्ठ चिकित्सक विजय भारती, डॉ. कृष्ण कुमार, डॉ. प्रियंका कदम सहित स्टाफ के सदस्य और बड़ी संख्या मे युवक और युवतियां मौजूद रहे।