खंडवा में शनि मंदिर क्षेत्र स्थित जाट मोहल्ले से 50 साल पुराने पीपल के पेड़ को ट्रांसप्लांट किया गया है। पेड़ की वैज्ञानिक तरीके से काट-छांट की गई। जड़ समेत तने को जेसीबी से बाहर निकाला और क्रेन की मदद से ट्राले पर रख दिया। इसे गोल जोशी के पास खेत पर ले जाकर शिफ्ट किया गया। दावा है कि महज दो-तीन माह में यह पुर्नजीवित हो जाएगा। दो साल के भीतर हरा-भरा होकर बड़ा आकार ले लेगा। दरअसल, खंडवा में पेड़ ट्रांसप्लांट की मुहिम सफल भी हो चुकी है। इस पुनित काम को अंजाम देने वाले कॉलोनाइजर रितेश गोयल ने बीते साल अपने ही प्रोजेक्ट (अंजनी बालाजी नगर) के डेवलपमेंट के दौरान करीब आधा दर्जन पीपल के पेड़ों को छैगांवमाखन स्थित दिव्य बालाजी नगर में शिफ्ट कराया था। जो पेड़ अब पुर्नजीवित होकर हरे-भरे हो गए हैं। पर्यावरण के प्रति आघात प्रेम जताने वाले रितेश गाेयल बताते है कि, कोविड काल के दौरान ऑक्सीजन की मारामारी के बाद से उन्होंने प्रण लिया कि अब पेड़ कटने नहीं देंगे। शुरूआत में 50 हजार लागत थी, अब ना के बराबर भास्कर ने पेड़ ट्रांसप्लांट की लागत काे लेकर सवाल पूछा तो रितेश गाेयल ने सबसे पहले कहा कि ऑक्सीजन के सामने इसकी लागत का सवाल नहीं उठता है। फिर उन्होंने बताया कि शुरूआत में जब हैदराबाद से एक्सपर्ट टीम आई थी, तब हमें प्रति पेड़ पर 50 हजार रूपए लागत आई थी। लेकिन अब यह ना के बराबर है। क्योंकि अब बालाजी ग्रुप के पास ही विशेषज्ञ इंजीनियर है। बाकी कम खर्च में मशीनरी का सहयोग हो जाता हैं। कुल मिलाकर सिर्फ काटने और छोटा करने की लागत होती है। हम लोग अभी तक 25 पेड़ ट्रांसप्लांट कर चुके है। मिशन ग्रीन ने यह ठान रखा है कि शहर में कहीं भी पेड़ कटने नहीं देंगे। जहां पेड़ बाधा बन रहा है, हमें सूचना भेजें, हम लोग बगैर पैसे के शिफ्ट करवा देंगे।