शहर के मीरकलां बाजार स्थित बड़े दरवाजे के पास एक सवा हाथ का प्राचीन गणेश मंदिर है। लोगों का कहना है कि यह देश का सबसे छोटा गणेश मंदिर है, जो सिर्फ सवा हाथ का है। इसके अंदर चार हाथ वाले गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर को लोग सवा हाथ के मंदिर में विराजे चार हाथ के गणपति के नाम से जानते हैं। मंदिर के पास किराना व पूजन सामग्री की दुकान के संचालक विनोद गुप्ता का कहना है कि यह मंदिर करीब 450 साल पुराना है। जब दरवाजे का निर्माण हो रहा था, तभी इस मंदिर की स्थापना हुई थी। उन्होंने बताया कि इसकी पूजा मेरे पिता प्रकाश गुप्ता करीब 40 साल से करते आ रहे हैं। यह हमारी तीसरी पीढ़ी है, जो इस मंदिर की पूजा कर रही है। 450 साल पुराने इस मंदिर की स्थिति यह हो चुकी है कि मंदिर के बगल में ही जूते-चप्पल रखे रहते हैं। दुकान में जो ग्राहक आते हैं वह भी जूते-चप्पल पहने रहते हैं। सड़कों से गंदा पानी बहकर मंदिर के अंदर भर जाता है। कुछ स्थानीय लोगों ने भास्कर से चर्चा करते हुए बताया कि जिला प्रशासन, पुरातत्व विभाग व हिंदू संगठन के पदाधिकारियों को इस मंदिर की नवीन स्थापना करनी चाहिए या इसी को इतना व्यवस्थित कर दे कि मंदिर के अंदर गंदा पानी नहीं जाए और श्रद्धालु विधि-विधान से पूजा-पाठ कर सकें। इस संबंध में हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष आशीष नागर ने कहा कि आपके द्वारा पहली बार इस प्रकार की जानकारी सामने आई है, जो बिल्कुल सही है। इसके पहले किसी ने ऐसा सोचा ही नहीं था। हिंदू संगठन के पदाधिकारी, समाज के वरिष्ठ और वहां के स्थानीय लोगों से बातचीत करके इस प्राचीन मंदिर को व्यवस्थित रूप देने का प्रयास करेंगे।