350 साल पुराने हैं अर्जी वाले गणेश:पद्मासन गणेश के साथ विराजमान हैं रिद्धि-सिद्धि, राजस्थान से आए लड्‌डू से लगता है भोग

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ग्वालियर में 11 दिवसीय गणेशोत्सव की शुरुआत होने में सिर्फ चार दिन बाकी है। जब बात गणेश भगवान की हो रही है तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि 350 साल पुराने अर्जी वाले गणेश की बात न हो। MLB रोड फूलबाग गुरुद्वारा के सामने सड़क किनारे विराजमान यह अर्जी वाले गणेश कैसे प्रकट हुए यह तो किसी को याद नहीं है, लेकिन 42 साल पहले की एक घटना के बाद उनका यह वर्तमान स्वरूप सामने आया है। वर्षो से एक मोटे से पत्थर की पूजा शहर के लोग किया करते थे।
लेकिन सन 1980 में अचानक पत्थर ने चोला छोड़ दिया। चोले का वजन करीब एक क्विंटल निकला था। उसके बाद गणेश प्रतिमा अपने असली अस्तित्व में आई। यहां गणेशजी के साथ दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां अर्जी लगाकार 11 और 7 बुधवार भक्ति पूरे कर लिए तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। अर्जी वाले गणेश को सिर्फ राजस्थान से आए मोटी बूंदी के लड्‌डू का ही भोग लगता है।
7 सितंबर शनिवार को गणेश चतुर्थी के साथ ही 11 दिन के गणेशोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। घर-घर गली-गली गणपति बप्पा की धूम मचने लगेगी। दैनिक भास्कर हर दिन आपको ग्वालियर के एक प्रसिद्ध और चर्चित गणेश मंदिर के इतिहार और परंपरा से परिचित करा रहा है। आज हम शहर के बच्चे, बुढ़े और जवान के बीच चर्चित अर्जी वाले गणेश मंदिर की कहानी आपको बताएंगे। यह मंदिर बीच शहर में फूलबाग गुरुद्वारा के सामने MLB रोड़ किनारे बना है। जानकारों की माने तो इन्हें कांच वाले गणेश, अर्जी वाले गणेश व कुंआरों के गणेश नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के वर्तमान स्वरूप की स्थापना 1980 में हुई थी। पर माना जाता है कि यह गणेश प्रतिमा लगभग 350 साल पुरानी है। जितना पुराना इनका इतिहास है उतनी ही इनकी महिमा और इनसे जुड़ी रोचक कहानियां भी है। अर्जी वाले गणेश के दरबार में भक्तों की लाइन हमेशा लगी ही रहती है। बुधवार के दिन तो यहां पैर रखने के लिए जगह तक नहीं होगी। बाहर सड़क पर घंटो जाम लगा रहा है। युवाओं के साथ ही शहर के व्यापारी और अन्य गणमान्य लोग भी अर्जी वाले गणेश के प्रति अटूट श्रद्धा रखते हैं। क्यों खास है यहां की गणेश प्रतिमा अगर धर्म के जानकारों की माने तो यह बहुत ही दुर्लभ प्रतिमा है। गणेश प्रतिमा के साथ ही रिद्धि-सिद्धि हैं जाे उनके दोनों तरफ विराजमान हैं। गणेशजी के उल्टे हाथ में विद्या है तो सीधे हाथ में फरसा। नीचे दो मूसक हैं। बहुत की कम प्रतिमाओं में यह सभी भगवान इस मुद्रा में एक साथ होते हैं। यही कारण कि यह बहुत ही सिद्धियोग वाले गणेश माने जाते हैं। यहां सच्चे दिल से मांगी गई मनोकामना पूरी होती है। खास बात यह है की अर्जी वाले गणेश जी प्रतिमा पिक पत्थर की है और गणेश प्रतिमा के पीछे दो मोर भी बने हुए हैं। युवक-युवतियों की शादी की मनोकामना करते हैं पूरी शहर के फूलबाग इलाके में विराजमान अर्जी वाले गणेश को सिंधिया रियासत कालीन बताया जाता है। गणपति बप्पा के दरबार में बच्चे, बुजुर्ग और जवान सभी अपनी-अपनी अर्जी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां की व्यवस्थाओं को संचालित करने वाले गोकुल प्रसाद की माने तो यहां सबसे ज्यादा युवा भक्त आते हैं। ऐसे युवा जिनकी शादी नहीं हो रही हो वह यहां आकर अर्जी लगाते हैं और 11 बुधवार परिक्रमा करते हैं। 11 बुधवार पूरे होने से पहले शादी की बाधा दूर हो जाती है। साथ ही युवा नौकरी के लिए भी अर्जी लगाते हैं। यहां अर्जी पर सुनवाई होती है इसलिए यह अर्जी वाले गणेश कहलाते हैं। व्यापारी वर्ग के साथ अफसर भी लगाते हैं अर्जी मंदिर के प्रबंधक गोकुल प्रसाद ने बताया कि “अर्जी वाले गणेश’ के दरबार में युवाओं के साथ-साथ व्यापारी काफी संख्या में यहां पर आते हैं, मान्यता है कि किसी भी व्यापारी को अगर व्यापार में घाटा होने लगता है तो इनकी शरण में आकर सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके अलावा शहर के अधिकारी जिनमें IAS, IPS भी भगवान गणेश की शरण में आते हैं और अर्जी लगाते हैं। वही मंदिर पर दर्शन करने आई छात्रा राधा राजावत निवासी पिंटो पार्क ने बताया कि मंदिर की मान्यता है कि जहां पर जो भी अर्जी लगाता उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है, छात्र ने बताया कि वह एमएलबी कॉलेज में BA की पढ़ाई कर रही थी और उसका यह लास्ट ईयर था। उसका आज रिजल्ट आया है, जिसमें वह पास हो गई है। उनकी सेकंड डिवीजन आई है। उन्होंने पास होने के लिए भगवान से अर्जी लगाई थी, इसलिए भगवान को प्रसाद चढ़ाने आई है । छात्र का कहना है कि वह काफी समय से मंदिर पर दर्शन करने आ रही है। वही भक्ति ने विवेक सुहाने का कहना है कि मंदिर की यह विशेषता है कि अर्जी वाले गणेश जी रिद्धि सिद्धि के साथ विराजमान है,ग्वालियर में ऐसा और दूसरा कोई मंदिर नहीं है। मान्यता है कि जो भी अर्जी वाले गणेश जी से मांगो वह मिल जाता है। अर्जी वाले गणेश जी के नाम से प्रसिद्ध है जहां पर अर्जी लगती है। राजस्थान की मोटी बूंदी के लड्‌डू से लगता है भोग मंदिर के पुजारी राजेंद्र शर्मा का कहना है कि अर्जी वाले गणेश की प्रतिमा 1980 को चोला छोड़ने के बाद वर्तमान स्वरूप में आई है। उन्होंने बताया कि गणेश जी का भोग में राजस्थान से आए मोटी बूंदी के लड्‌डू का ही भोग लगता है। पूरे शहर में उनकी ख्याति है। उनका कहना है कि पूरे भारत में गणेश मंदिर और प्रतिमाएं तो है साथ में रिद्धि सिद्धि भी है। लेकिन अर्जी वाले गणेश जी की प्रतिमा बहुत ही दुर्बल है। अर्जी वाले गणेश जी पद्मासन में बैठे हुए हैं और उनके अगल-बगल रिद्धि सिद्धि भी है, जो एक ही पत्थर में बनी हुई है, उनके पीछे दो मोर भी बनी हुई है। पंडित जी का कहना है कि अर्जी वाले हनुमान जी पद्मासन में बैठे हैं ऐसे प्रतिमा और कहीं भी नहीं है। उनका दावा है अगर उन्हें ऐसी कोई प्रतिमा दर्शन कराएगा तो वह उसे 11 हजार रुपय का नाम देंगे। लेकिन अब तक ऐसा कोई व्यक्ति उनके सामने नहीं आया है, उनका कहना है कि जो भी वक्त मंदिर जाकर 11 या 7 बुधवार पूरे करता है तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है।उनका कहना है कि 16 तारीख को अर्जी वाले गणेश जी का अभिषेक कर विशेष पगड़ी और पोशाक अपनी जाएगी और भंडारा भी आयोजित किया जाएगा।