कौन बनेगा कुलगुरू: विक्रम विवि के लिए कई प्रोफेसर प्रयासरत:कुलगुरू प्रो अखिलेश कुमार पांडे का कार्यकाल 14 सितंबर को हो रहा है समाप्त

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विक्रम विश्वविद्यालय में कुलगुरू का चार वर्षीय कार्यकाल 14 सितंबर को समाप्त हो रहा है। राजभवन से कुलगुरू चयन के लिए विज्ञापन की अंतिम तिथि तक विक्रम विश्वविद्यालय से ही चार प्रोफेसर और शासकीय कॉलेज से दो प्रोफेसर के आवेदन जमा करने की जानकारी मिली है। हालांकि विक्रम विश्वविद्यालय के लिए प्रदेश के अन्य स्थानों से भी कुलगुरू पद के लिए करीब 150 शिक्षक दौड़ में शामिल है। फिलहाल बुधवार को चयन प्रक्रिया के लिए सर्च कमेटी हो गई है। संभव है कि 14 सितंबर के पहले नए विक्रम विवि के नाए कुलगुरू के नाम की घोषणा हो जाएगी। विक्रम विश्वविद्यालय में कुलगुरू प्रो. अखिलेश कुमार पांडे का कार्यकाल 14 सितंबर 2024 को पूर्ण हो रहा है। राजभवन से नए कुलगुरू के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करते हुए विज्ञापन भी जारी हो चुका है। विज्ञापन में आवेदन के लिए अंतिम तिथि अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक थी। विज्ञापन आने के बाद विक्रम विश्वविद्यालय और शासकीय कॉलेज से जुड़े प्रोफेसर द्वारा आवेदन किए गए है। हालांकि आवेदन करने वाले अधिकांश प्रोफेसरों ने अपने नाम का खुलासा नही करते हुए पत्ते नही खोले है। वहीं प्रदेश के अन्य जिलों के विश्वविद्यालय से जुड़े प्रोफेसर भी विक्रम विवि के कुलगुरू बनने के लिए आवेदन कर चुके है। सभी शिक्षकों के अपने स्तर पर प्रयास भी चल रहे है। विक्रम विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रो. डॉ उमेशकुमार सिंह, प्रो. एसके मिश्रा, प्रो. डीडी बेदिया, माधव विज्ञान महाविद्यालय के प्रो. अर्पण भारद्वाज शामिल है। इसके अलावा इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा सहित अन्य जिलों से भी विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू पद के लिए करीब 150 आवेदन राजभवन तक पहुुंचे है। विक्रम विवि के लिए गठित सर्च कमेटी के चेयरमेन छतरपुर विवि की कुलगुरू दो सदस्य शामिल है। वहीं इंदौर के देवी अहिल्या विवि के लिए उज्जैन के महर्षि पाणिनी संस्कृत एंव वैदिक विवि के कुलगुरू को चेअर मेन बनाया गया है। बताया गया है कि बुधवार को विक्रम विवि के लिए चयन सर्च कमेटी की एक बैठक हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार उज्जैन के तीन प्रोफेसर के नाम शार्ट लिस्ट में आ सकते है। विक्रम के लिए सीएम डॉ. यादव की रजमंदी जरूरी विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू के लिए प्रक्रिया पूरी राजभवन से ही होगी, लेकिन यह भी तय है कि नए कुलगुरू के नाम पर अंतिम मोहर सीएम डॉ. मोहन यादव की सहमति के बाद ही लगेगी। कारण है कि उज्जैन का विक्रम विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री डॉ. यादव के गृह नगर में होने के साथ ही उनके विधानसभा क्षेत्र में ही आता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का पूरा ध्यान उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए विक्रम विश्वविद्यालय पर रहा है। ऐसे में यह तय है कि सीएम की मर्जी से ही यहां के कुलगुरू के नाम का चयन होगा। ऐसे होगी चयन की प्रक्रिया विश्वविद्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार कुलगुरू पद पर नियुक्ति के लिए आवेदकों को इंटरव्यू पास करना होगा। उनका पुलिस वेरिफिकेशन भी किया जाएगा। तीन सदस्यीय समिति सभी आवेदकों में से 10 नामों को शार्ट लिस्ट करेगी। इन्हीं 10 अभ्यर्थियों के इंटरव्यू होंगे। इंटरव्यू में विश्वविद्यालय के शैक्षिक माहौल को बेहतर बनाने, शैक्षणिक कैलेंडर को हर स्थिति में लागू करने के लिए अपनाए जाने वाले तरीके, वित्तीय अनियमितताओं को रोकने के लिए योजना आदि सवालों के माध्यम से अभ्यर्थी की तार्किक और प्रशासनिक क्षमताओं के आंकलन के साथ उनका दृष्टिकोण भी देखा जाएगा। इंटरव्यू होने के बाद समिति द्वारा तीन या अधिकतम चार नामों का पैनल बनाकर राज्यपाल को दिया जाएगा। समिति द्वारा दिए गए तीन नामों में से कुलाधिपति व राज्यपाल किसी एक का चयन कुलगुरू के लिए करेंगे।