24 घंटे सातों दिन पानी सप्लाई छलावा:190 करोड़ खर्च, 561 किमी लाइन, 47 हजार नल कनेक्शन, 36 हजार मीटर लगे, लेकिन रोज देने लायक भी पानी नहीं

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24 घंटे सातों दिन पानी सप्लाई की योजना छलावा बन गई है। अब तक इस प्रोजेक्ट पर 190 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। शहर व मकरोनिया में 561 किमी तक पाइप लाइन बिछ गई है और 47 हजार नल कनेक्शन चालू हैं। इनमें से 36 हजार में मीटर तक लग चुके हैं। राजघाट बांध की स्टोरेज क्षमता बढ़ाई नहीं गई और हवा में प्रोजेक्ट पर काम चालू कर दिया गया। लिहाजा, 24 घंटे तो छोड़िए शहर को अभी रोज पानी मिल पाना भी संभव नहीं है। हालात यह हैं कि यदि रोज पानी देने लगें तो राजघाट बांध जनवरी-फरवरी में ही सूख जाएगा। एमपीयूडीसी के अधिकारियों का दावा है कि योजना के हिसाब से बांध में पर्याप्त पानी है। जितनी जरूरत उतना उपयोग हो तो 24 घंटे सातों दिन पानी दे सकते हैं। हालांकि यह तभी संभव है जब पूरा प्रोजेक्ट निगम से टाटा कंपनी को हस्तांतरित हो। 87 एमएलडी का प्लांट, 80 एमएलडी पानी बीपी टैंक पहुंच रहा मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कंपनी (एमपीयूडीसी) के उप परियोजना प्रबंधक आकाश अग्रवाल का कहना है कि अभी 87 एमएलडी पानी का प्लांट है। 80 एमएलडी पानी बीपी टैंक तक पहुंच रहा है। शहर में 65 एमएलडी (65 लाख लीटर) पानी की डिमांड है। डायरेक्ट सप्लाई के जरिए 70 एमएलडी तक पानी सप्लाई हो रहा है। 6-8 घंटे तक पानी सप्लाई चलती है। मकरोनिया की डिमांड 11 लाख लीटर पानी की है। इसमें से 6 लाख लीटर पानी सप्लाई हो रहा है। 24 घंटे सातों दिन वाटर सप्लाई का प्लान वर्तमान स्टोरेज क्षमता के आधार पर ही बना है। पानी का अपव्यय आैर जरूरत के हिसाब से स्टोरेज करें तो योजना कारगर साबित होगी। हालांकि अभी निगम से प्रोजेक्ट टेकआेवर नहीं हुआ है। अंतराल से आपूर्ति में भी रोज 2-3 सेमी खाली होता है बांध राजघाट बांध की जलभराव की क्षमता 515 मीटर है, जबकि डेड लेवल 509 मीटर है। प्रतिदिन की जल सप्लाई में बांध 2 से 3 सेंटीमीटर तक खाली हो जाता है। वह भी तब जब शहर में एक दिन छोड़कर एक दिन सप्लाई की जाती है। उसमें भी लीकेज सुधार तथा अन्य कारणों से कई बार 3-4 दिन पानी नहीं मिल पाता। ऐसे में 24 घंटे पानी सप्लाई बांध की इस क्षमता में संभव ही नहीं है। राजघाट बांध की ऊंचाई 2 मीटर बढ़ाने की योजना पर अमल नहीं हो पाया है। डूब क्षेत्र में आने वाले लोगों की जमीन के मुआवजे को लेकर पेंच फंसा है। अब इसका विकल्प तलाशा जा रहा है। बताया जा रहा है कि 8-10 किमी दूर एक और बांध प्रस्तावित है। गर्मियों में राजघाट बांध का पानी सूखने पर ऊपर वाले बांध से पानी छोड़ा जाएगा। एक नजरप्रोजेक्ट पर