जिले भर में सोमवार को पोला पर्व मनाया गया। सुबह से ही पोला को लेकर तैयारियां शुरू हो गई थी। सबसे पहले गांवभर के करीब 100 बैलों को हनुमान मंदिर और नारसिंह बाबा मंदिर ले जाया गया। यहां किसानों ने मत्था टेककर गांव और देश, प्रदेश की खुशहाली के लिए कामना की। इसके बाद क्षेत्र में उत्सव मनाया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी खासी धूम रही, यहां परंपरागत तरीके से पोला मनाया गया। सांसद ने भी बैलों की पूजा की सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने भी अपने गृह ग्राम बोहरडा में बैलों की पूजा की। पोला पर्व के दौरान बैलों के सिंग को रंगकर उनका आकर्षक श्रृंगार किया। उन्हें पूरणपोली का नैवैद्य खिलाया गया। इसके बाद गांव में भ्रमण कराया गया। अंबाड़ा के पंडित पुरुषोत्तम महाराज ने बताया इस पर्व का काफी महत्व है। यह पर्व भादौ माह की अमावस्या पर मनाया जाता है। इस दिन बैलों का श्रृंगार कर उनकी पूजा, अर्चना की जाती है। बैलों के कंधों की मालिश की जाती है महिलाएं मिट्टी के बैल घर लाकर उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। पोला पर्व पर किसान और पशुपाल बैलों से कोई काम नहीं करवाते है। घरों में महिलाओं ने पूरणपोली सहित अन्य व्यंजन बनाए और बैलों को खिलाया। पोले से एक दिन पहले हल्दी, घी और अरबी के पत्तों से बैलों के कंधों की मालिश की गई। मान्यता है कि सालभर काम करने से होने वाला दर्द मालिश से दूर हो जाता है। वहीं ग्रामीणों ने परिचित बैल मालिकों के घर जाकर उन्हें नारियल भेंट किया। बैलों की पूजा, अर्चना कर नैवैद्य खिलाया।