भोपाल के वैशाली नगर में सुरों के सम्राट कार्यक्रम के अंतर्गत स्वरांजली म्यूजिक कॉम्पीटिशन का फाइनल राउंड आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सेमीफाइनल में चयनित 26 प्रतिभागियों ने निर्णायकों के समक्ष अपने गीतों की प्रस्तुति दी। जिसमें दिव्यांग और सामान्य कलाकार शामिल थे। इस प्रतियोगिता में पार्थवी जोशी को प्रथम पुरस्कार 5000 रु, ईशान सोढ़ी को द्वितीय पुरस्कार 3000 रु, भूषण मधुकर शेंडे को तृतीय पुरस्कार 1000 रु तथा प्रिशा मालवीय, लाभांश गौर, अक्षिका सिंह को सांत्वना पुरस्कार 500 रु और सभी 248 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद आलोक संजर, डॉ. शशि किरण नायक ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। प्रथम पुरस्कार विजेता का रिकॉर्डिंग स्टूडियो में गीत रिकार्ड तथा वीडिओ शूट भी करवाया जाएगा। बता दें कि इस प्रतियोगिता का क्वार्टर फाइनल तथा सेमी फाइनल राउन्ड ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया था। जिसमें भोपाल और अन्य शहरों से सभी आयु वर्ग के कुल 248 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। कार्यक्रम के दूसरे चरण में स्वर कोकिला लता मंगवाकर, किशोर कुमार, मो. रफ़ी, मुकेश जी की याद में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित दिव्यांग कलाकार डॉ. दिव्यता जैन गर्ग ने एक राधा एक मीरा, तुषार सोहनी ने हमें तुमसे प्यार कितना, दिव्यांग कलाकार राजू यादव ने तेरे चेहरे में वो जादू हैं, बाँसुरी वादक सुमित कोल्हे द्वारा पंख होते तो उड़ आती रे, मृत्युंजय पांडे द्वारा एहसान तेरा होगा मुझपर गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं की वाह वाही लूटी। इस अवसर पर संगीत के क्षेत्र में रियाज़ का महत्व, गीतों का चयन, गले की तैयारी आदि महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला के अंतर्गत प्रसिद्ध कलाकार राजेश भट्ट तथा डॉ. अश्वीना रांगणेकर द्वारा संगीत प्रेमियों को मार्गदर्शन दिया गया। अरण्या, अलिशबा, अवनी, ऋतिशका, याशिका, तृप्ति, रौनक, जानवी, अरणी, आस्था, अनीका, अभ्योदय आदि द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति भी दी गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सांसद आलोक संजर, डॉ. शशि किरण नायक, सुनील अग्रवाल, डॉ. एस. पी ठाकुर, डॉ. उषा ठाकुर उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दर्शक शामिल हुए। संस्था की अध्यक्ष प्रियंका जैन ने बताया कि हमारे कार्यक्रम का उद्देश्य सभी आयु वर्ग के दिव्यांग तथा सामान्य संगीत के कलाकारों को एक बेहतर मंच प्रदान करके उनकी प्रतिभा को समाज के सामने लाना हैं जिससे वे इस क्षेत्र में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके।