यहां मुक्ति भी आसान नहीं…:शहर की सीमाओं से लगे श्मशान घाटों के पहुंच मार्ग जर्जर, शेड नहीं होने से लकड़ियां होती हैं गीली

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राजधानी की सीमाओं पर स्थित श्मशान घाटों की हालत खस्ता है। ये जर्जर पहुंच मार्ग से लेकर टीन शेड की कमी से जूझ रहे हैं। अंतिम संस्कार की व्यवस्था के लिए बने चबूतरे टूटने लगे हैं। कुछ श्मशान घाट ऐसे हैं, जहां न तो बैठने की व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की। रोशनी का कोई इंतजाम नहीं है। शेड नहीं होने से सबसे ज्यादा दिक्कत बारिश में होती है। लकड़ियां गीली होने से अंतिम संस्कार में परेशानी होती है। हरियाली के नाम पर कटीली झाड़ियां दिखाई देती हैं। भानपुर खंती के पास श्मशान घाट की सड़क में ढाई फीट के गहरे गड्ढे से परेशानी आनंद नगर श्मशान घाट की सड़क खस्ता हाल
हथाईखेड़ा रोड स्थित श्मशान घाट को जोड़ने वाली लगभग डेढ़ किलोमीटर सड़क का रास्ता खस्ता हाल है। यहां जगह-जगह गड्ढे हैं। इसके चलते अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाने में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां हर महीने करीब 40-50 अंतिम संस्कार होते हैं।
बैरागढ़ श्मशान घाट की सड़क गड्ढों से पटी
विश्राम घाट के पास ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है। इसके चलते बैरागढ़ बाजार की ओर से श्मशान घाट तक शव लेकर पहुंचना आसान नहीं है। यहां हर महीने करीब 100-125 अंतिम संस्कार होते हैं। श्मशान घाट को जोड़ने वाली सड़क पर बड़ी संख्या में गड्ढे होने से लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। 500 मीटर मार्ग में 100 मीटर ही सड़क, बाकी रास्ते में कीचड़ भानपुर ओवरब्रिज के दोनों ओर एक-एक श्मशान घाट हैं। भानपुर खंती के पास श्मशान घाट के लिए तीन फीट चौड़ी सड़क का निर्माण किया गया है। यहां पहुंचने के लिए कटीली घनी झाड़ियों से होकर गुजरना पड़ता है। यहां करीब 500 मीटर मार्ग में 100 मीटर ही सड़क है। इसके अलावा बाकी रास्ते में कीचड़ और गड्ढे हैं, जो परेशानी का सबब हैं। सड़क के दूसरी ओर वाले श्मशान के लिए जाने वाले मार्ग पर सड़क नहीं है। यहां तक पहुंचने के लिए दो से ढाई फीट के गड्ढों से होकर जाना पड़ता है। गांधीनगर श्मशान घाट, सड़क से डामर गायब
यहां तक पहुंचने वाले मार्ग से डामर गायब हो चुका है। रास्ते पर गिट्टियां बिखरी दिखाई दे रही हैं। यहां शव को लेकर चलना मुश्किल होता है। लोगों का कहना है कि बारिश के दौरान अंतिम संस्कार के लिए शव को लेकर जाने में काफी परेशानी होती है। यहां हर महीने करीब 30-40 अंतिम संस्कार होते हैं।
खानूगांव श्मशान घाट
खानूगांव में बड़े तालाब के पास श्मशान घाट है। इसे जोड़ने वाला मार्ग ढलान वाला है, जो जगह-जगह से उखड़ा है। ऐसे में अंतिम यात्रा के दौरान काफी परेशानी होती है। यहां हर महीने करीब 10-15 अंतिम संस्कार होते हैं। समाधान… आर्थिक मदद देकर प्रशासन को विकास कार्य करने चाहिए
श्मशान घाट के पहुंच मार्ग दुरुस्त होने चाहिए। निर्माण के दौरान गुणवत्ता का परीक्षण अवश्य होना चाहिए। स्ट्रीट लाइट भी पहुंच मार्ग में होना चाहिए ताकि रात के समय व्यावहारिक समस्या न आए। अभी अधिकतर श्मशान घाट पर शेड, पेयजल, बिजली आदि का प्रबंध नहीं है। न ही छांव की कोई व्यवस्था है। अधिकांश श्मशान घाट की व्यवस्था समाजजनों के भरोसे हैं। ऐसे में इन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। स्थानीय लोगों और प्रशासन को आपस में तालमेल बनाकर श्मशान घाटों का विकास करना चाहिए। प्रशासन को आर्थिक सहायता देनी चाहिए।
प्रमोद चुग, सेक्रेटरी, श्री विश्रामघाट ट्रस्ट, भोपाल