स्कीम 97/4 का मामला:40 एकड़ में बनना था सबसे बड़ा सिटी पार्क, 50 हजार पौधे लगते: अनदेखी से पूरी जमीन पर कब्जे

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इंदौर विकास प्राधिकरण स्कीम 97 पार्ट-4 में शामिल 210 एकड़ से ज्यादा जमीन सुप्रीम कोर्ट से जीतने के डेढ़ साल बाद भी कब्जे में नहीं ले सका। इसमें करीब 40 एकड़ का उपयोग मास्टर प्लान में रीजनल पार्क है। शहर में 51 लाख पौधे लगाने की मुहिम के तहत आईडीए ने यहां पर तीन अलग-अलग हिस्सों में मियावाकी पद्धति से जंगल बना कर 50 हजार से ज्यादा पौधे लगाने की योजना तैयार की थी। आईडीए अफसर जब पौधारोपण के लिए पहुंचे तो यहां कुछ हिस्से में किसानों की फसल और कुछ पर अवैध निर्माण देख चौक गए। जमीन मालिकों ने अफसरों को खड़ी फसल का हवाला दे कर पौधा रोपण नहीं करने दिया। अभियान के तहत विभिन्न योजनाओं में छोड़े गए गार्डन की स्पेस पर आईडीए ने 2.12 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए एजेंसियों को काम दिया है। आईडीए ने बायपास पर टीपीएस 5, सुपर कॉरिडोर, टीपीएस 3 व 10, आईएसबीटी, सिरपुर, आरई टू – बिचौली हप्सी व रेती मंडी-आरआरकैट-राजेन्द्र नगर एरिया में योजना 97 पार्ट 4 में पौधारोपण की योजना तैयार की। आश्चर्य की बात तो यह है, आईडीए ने 1981 में घोषित योजना के लिए 40 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक भी मामला पहुंचा, आखिरकार किसान, गृह निर्माण संस्थाओं से जीती। फैसले को डेढ़ साल से ज्यादा बीतने के बाद भी आईडीए किसानों से जमीन नहीं ले सका है। मामला सर्वे और एनओसी सत्यापन में उलझा है। जमीन बिजलपुर, तेजपुर गड़बड़ी गांव की है, जो मौजूदा वीआईपी परस्पर कॉलोनी से रेत मंडी होते हुए रेलवे क्रॉसिंग तक है। 44 साल पुरानी योजनाएं
रिंग रोड के लिए आईडीए ने 1981 में स्कीम 94 घोषित की थी। चार भागों में घोषित योजना में आईडीए ने पार्ट-1 और 3 की जमीनें ले ली। 97-पार्ट 2 की पूरी जमीन आवासीय है। पार्ट-4 आवासीय, कमर्शियल, घास मंडी, रेत मंडी, स्वास्थ्य उपयोग के लिए लागू की गई है। इसमें 60% जमीन पार्क व 40% आवासीय है। एनओसी देने का ‘खेल’
प्राधिकरण योजना 97/4 के खिलाफ जमीन के मालिकों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। जमीनों को लेकर हाई कोर्ट में आईडीए हार गया। इसके बाद कई जमीनों को एनओसी दे दी और नक्शे पास हो गए। वहीं, आईडीए सीईओ, आरपी अहिरवार ने कहा, कब्जे होने से अन्य योजनाओं में पौधे लगाए हैं। अब हम जमीन पर कब्जा लेने की तैयारी कर रहे हैं।