मध्य प्रदेश की 23 हजार पंचायतों में पदस्थ पंचायत सचिवों के हित में राज्य सरकार ने फैसला लिया है। सरकार ने तय किया है कि अगर किसी पंचायत सचिव की सेवाकाल के दौरान असमय मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति देने का काम अब सात साल की अवधि में किया जा सकेगा। पहले इसके लिए तीन साल की समय सीमा थी और इस अवधि तक जीवन गंवाने वाले पंचायत सचिव के परिवार का सदस्य निर्धारित योग्यता नहीं रखता था तो उसके परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नहीं मिल पाता था। इससे पंचायत सचिव पद पर अनुकम्पा नियुक्ति के साढ़े तीन से अधिक पेंडिंग मामलों में अब तेजी आ सकेगी। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने इसके लिए विभागीय नियमों में बदलाव के बाद सभी कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को नए नियमों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश जारी किए हैं। विभाग के उपसचिव द्वारा जारी आदेश में कहा है कि ग्राम पंचायत सचिव की सेवाकाल में मृत्यु की दशा में अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर 15 नवम्बर 2017 को आदेश जारी किया गया था। इसमें यह व्यवस्था थी कि अनुकम्पा नियुक्ति की पात्रता ग्राम पंचायत सचिवों की मृत्यु तारीख से तीन साल तक रहेगी। अब सरकार ने इसमें संशोधन कर दिया है। पहले जिलों में जगह न होने से बढ़ रही थी पेंडेंसी, अब एक और बदलाव पंचायत सचिवों की मृत्यु पर अनुकंपा नियुक्ति को लेकर पहले यह दिक्कत थी कि जिलों में जगह नहीं होने पर मृतक के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिलती थी। मई 2024 में किए गए नोटिफिकेशन के माध्यम से पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा स्प्ष्ट किया गथा कि पंचायत अधिनियम के नियम 5 के बाद नियम 5 (क) स्थापित किया जा रहा है। इसमें यह प्रावधान होगा कि जिस जिला पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत सचिव सेवारत था, अगर उस जिले की ग्राम पंचायतों में पंचायत सचिव का पद रिक्त नहीं है तो उसके परिजनों को अन्य जिलों में जहां ग्राम पंचायत सचिव के पद रिक्त हैं वहां अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकेगी। इन जिलों में पात्रता के आधार पर ग्राम पंचायत सचिव पद पर नियुक्ति देने के लिए पंचायत राज संचालनालय द्वारा ग्राम पंचायत सचिव के रिक्त वाली जिला पंचायत को अनुकंपा नियुक्ति चाहने वाले का आवेदन भेजा जाएगा और इसके आधार पर संबंधित जिले में उसकी नियुक्ति की जाएगी।