एप्रेन पहने रिपोर्टर मरीज और अस्पताल का जायजा लेकर लौटे:एम्स, हमीदिया और जेपी के वार्ड में घूमे; गार्ड ने सलाम ठोंका, मरीज दवाएं पूछते रहे

Uncategorized

मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों के वार्डों के भीतर कोई भी अनजान व्यक्ति दाखिल हो सकता है। आईसीयू जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी बेधड़क जा सकता है। न तो कोई रोकने वाला है और न ही टोकने वाला है। अस्पताल में मौजूद गार्ड न तो कोई सवाल पूछते हैं और न ही मेडिकल स्टाफ ध्यान देता है। सीसीटीवी कैमरे लगे हैं मगर इन्हें कोई भी चकमा दे सकता है। कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर के मामले के बाद सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था कितनी चाक चौबंद हुई ? दैनिक भास्कर ने जब इसका जायजा लिया तो ऐसा ही कुछ देखने को मिला। भास्कर के दो रिपोर्टर जूनियर डॉक्टरों की तरह ऐप्रन पहनकर राजधानी के तीन बड़े सरकारी अस्पतालों में रात भर घूमे। भास्कर के ही तीसरे रिपोर्टर ने इन दोनों को कैमरे में कैद किया। ये अस्पतालों के वार्डों में पहुंचे यहां मरीजों का हालचाल भी जान लिया। अस्पताल में गार्ड और मेडिकल स्टाफ तो मौजूद था, लेकिन उन्होंने भी दोनों रिपोर्टर्स को रोकने की कोशिश नहीं की। ये केवल राजधानी के अस्पतालों के हाल नहीं है बल्कि प्रदेश के बाकी शहरों में भी कमोबेश हालात ऐसे ही हैं। वो भी तब…जब प्रदेश की मुख्य सचिव और डीजीपी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश दे चुके हैं। कोलकाता हादसे के 21 दिन बाद भी मप्र के सरकारी अस्पतालों में किस तरह से सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बरती जा रही है… सिलसिलेवार जानिए किस अस्पताल में क्या देखने को मिला एंट्रेंस पर दो गार्ड, मेन कॉरिडोर में 4 मगर किसी ने नहीं रोका हमीदिया अस्पताल में ब्लॉक ए और ब्लॉक बी है। दोनों ब्लॉक के गेट पर सिक्योरिटी गार्ड मौजूद रहते हैं। मेन कॉरिडोर में भी 3 से 4 गार्ड होते हैं। भास्कर के दोनों रिपोर्टर ऐप्रन पहनकर ब्लॉक ए के गेट के बाहर पहुंचे। सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें देखा मगर कोई सवाल नहीं किया और न ही रोका। ग्राउंड फ्लोर पर भी गार्ड मौजूद थे। इसके बाद टीम लिफ्ट के गेट की तरफ बढ़ी, तभी सामने से आ रहे एक डॉक्टर ने भी टीम को देखा और इग्नोर करते हुए आगे बढ़ गए। बड़ी आसानी से लिफ्ट के गेट पर पहुंचने के बाद टीम लिफ्ट में सवार होकर सेकेंड फ्लोर पर पहुंचीं। दूसरी और तीसरी मंजिल का जायजा लेते हुए 11वीं मंजिल तक जा पहुंचे सेकेंड फ्लोर पर एनेस्थिसिया डिपार्टमेंट और ऑपरेशन थिएटर हैं। इस फ्लोर के कॉरिडोर में भास्कर की टीम घूमती रही। एक वार्ड के बाहर सिक्योरिटी गार्ड मौजूद था, लेकिन उसने किसी तरह की पूछताछ नहीं की। इसी तरह तीसरी मंजिल पर मेडिसिन विभाग के फ्लोर पर भी घूमने के बाद टीम सीधे 11वीं मंजिल पर पहुंची। यहां नाक, कान गला और कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट है। लिफ्ट से बाहर निकलते ही जब वार्ड की तरफ बढ़े तो यहां पहले से गार्ड मौजूद थे। उन्होंने भी रोकने की कोशिश नहीं की, टीम बड़ी आसानी से वार्ड के भीतर दाखिल हो गई। यहां देखा तो मेडिकल स्टाफ अपना काम कर रहा था। भास्कर की टीम ने मरीजों से बात की। इनमें से एक ने बताया कि कान में तकलीफ की वजह से वह तीन दिन पहले ही भर्ती हुआ है। गार्ड से पूछे सारे सवाल, उसने पलटकर नाम तक नहीं पूछा यहां सारे लोग मौजूद थे लेकिन किसी ने भी हमारी टीम से यहां आने का कारण नहीं पूछा। रिपोर्टर्स ने स्टाफ से बात की और मरीजों की संख्या भी जानी। किस मरीज की क्या स्थिति है ये भी पूछा। बाहर निकलने पर ड्रेसिंग रूम के बाहर मौजूद गार्ड के पास पहुंचे और उससे बात की। स्टाफ की टाइमिंग और ड्यूटी को लेकर सवाल किए। गार्ड ने सारे सवालों के जवाब दिए, लेकिन एक बार भी रिपोर्टर का नाम या आईडी कार्ड के बारे में नहीं पूछा। न ही ये पूछा कि ये सवाल क्यों कर रहे हैं। संदिग्ध बताने की पूरी कोशिश मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया भास्कर की टीम इसी तरह हर फ्लोर पर पहुंची और वार्ड में जाकर मरीजों से बात की। एक नहीं दो- दो बार कॉरिडोर का राउंड लिया, लेकिन सिक्योरिटी गार्ड ने रोकने की कोशिश नहीं की। ऐसा ही हाल मेडिकल स्टाफ का भी था। स्टाफ से टीम ने कई सवाल किए। उन्होंने इसके जवाब भी दिए ,लेकिन उन्होंने पलटकर एक भी सवाल नहीं किया। इस दौरान रिपोर्टर्स उन जगहों पर भी गए जहां रात में अमूमन कोई नहीं जाता। घूमते हुए सीढ़ियों पर चढ़ गए, ताकि पीछे से कोई टोक दे। भास्कर की टीम के दोनों रिपोर्टर्स ने खुद को संदिग्ध दिखाने की पूरी कोशिश की लेकिन किसी ने भी तवज्जो नहीं दी। रात के करीब 1 बजे जब टीम वापस ग्राउंड फ्लोर पर आई तो ग्राउंड फ्लोर के गार्ड जा चुके थे। सिक्योरिटी रूम बंद हो चुका था और मेन गेट पर केवल एक गार्ड मौजूद था। ये लूपहोल देखने को मिले.. भास्कर की टीम करीब 2 घंटे तक हमीदिया अस्पताल में रही इसके बाद बाहर कैंपस में भी पहुंची। यहां भी सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम नजर नहीं आए। अस्पताल के भीतर और बाहर पूरे कैंपस को घूमने के बाद टीम ने ये पॉइंट ऑब्जर्व किए.. अस्पताल के भीतर अस्पताल के बाहर सूना गलियारा, एक भी गार्ड नहीं हमीदिया अस्पताल के बाद भास्कर की टीम जेपी अस्पताल पहुंची। इस अस्पताल में 11 गेट है और गार्ड की संख्या 14 है। रात के वक्त अधिकतर गेट बंद कर दिए जाते हैं, केवल मेन गेट खुला रहता है। जब टीम यहां पहुंची तो मेन गेट पर भी कोई गार्ड मौजूद नहीं था। अस्पताल का कॉरिडोर सूना पड़ा था। मरीजों के परिजन भी कॉरिडोर में घूम रहे थे। भास्कर की टीम ब्लॉक ए के इमरजेंसी वार्ड में पहुंची। यहां कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं था। महिला स्टाफ जरूर मौजूद था, लेकिन उसने टीम से किसी तरह की पूछताछ नहीं की। इसके बाद टीम मेल सर्जिकल वार्ड में पहुंची यहां भी कमोबेश हालात वैसे ही थे जैसे दूसरे वार्ड में थे। भास्कर रिपोर्टर एक मरीज के पास पहुंचा जिसे बोतल चढ़ाई गई थी। उस मरीज की बोतल खाली हो चुकी थी। मरीजों ने दवाओं के बारे में पूछा इसके बाद टीम फीमेल वार्ड में पहुंची यहां मरीजों से बात की तो मरीजों ने अपनी समस्या बताई। एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि उसे खांसी हो रही है, क्या कोई गोली मिल सकती है? एक मरीज के हाथ में सूजन थी उसने भास्कर रिपोर्टर को बताया कि उसके हाथ की सूजन कम नहीं हो रही है। इन मरीजों को स्टाफ भेजने का कहकर टीम यहां से निकल गई। अस्पताल के भीतर रोशनी की व्यवस्था नहीं इसके बाद भास्कर की टीम मैटरनिटी वार्ड पहुंची। हैरानी की बात थी कि इस संवेदनशील वार्ड में भी कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं था। एक गार्ड बेंच पर जरूर सोता नजर आया। इस वार्ड में घूमने के बाद जब टीम नीचे उतरी तो ग्रांउड फ्लोर पर ब्लॉक सी से ब्लॉक बी तक जाने वाले रास्ते के बीच कुछ निर्माणाधीन कमरे दिखाई दिए। इन कमरों में कुछ सामान पड़ा था। यहां रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस डार्क स्पॉट पर कोई छिपकर बैठ जाए तो किसी को भनक तक नहीं लगेगी। जेपी अस्पताल में 90 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन इन्हें मॉनिटर करने वाला कोई नहीं था। जेपी अस्पताल में दो घंटे तक रहने के बाद भास्कर की टीम बाहर निकल गई। ये लूप होल देखने को मिले…. जेपी हॉस्पिटल में दो घंटे तक रहने के बाद टीम ने ये पॉइंट ऑब्जर्व किए सिक्योरिटी गार्ड हर वार्ड में मौजूद, मगर अवेयर नहीं ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी एम्स में 27 अगस्त से मप्र के राज्यपाल मंगूभाई पटेल भर्ती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल की सिक्योरिटी कितनी सख्त होगी। इसके बाद भी भास्कर की टीम एम्स में दाखिल हो गई। यहां हर वार्ड के बाहर सिक्योरिटी गार्ड तो दिखाई दिए मगर वो उतने सजग नजर नहीं आए। भास्कर की टीम करीब 2.30 बजे इमरजेंसी वार्ड से अस्पताल में दाखिल हुई। यहां डॉक्टर और बाकी स्टाफ ड्यूटी पर मुस्तैदी से तैनात थे। सीढ़ियों के रास्ते टीम पहली मंजिल पर पहुंची यहां पूरे कॉरिडोर में घूमे। हर वार्ड के बाहर गार्ड तैनात थे। इनमें से एक गार्ड ने टीम को रोका और कॉरिडोर में घूमने की वजह पूछी, तभी दूसरा गार्ड बोला मेडिकल स्टूडेंट होंगे। लेकिन, गार्ड्स ने न तो आईडी कार्ड मांगा न ही नाम पूछा। प्रतिबंधित क्षेत्र में दाखिल हुई टीम इसी तरह भास्कर की टीम बाकी फ्लोर भी भी पहुंची। इसके बाद एक गार्ड से बातचीत की तो उसने गार्ड और स्टाफ की ड्यूटी टाइम और सभी के नाम और पता बता दिए। मगर उसने ये नहीं पूछा कि आप इतनी पूछताछ क्यों कर रहे हैं। इसके बाद टीम अस्पताल के प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी दाखिल हुई। यहां भी गार्ड मौजूद था, उसने टीम को दूर से देखा लेकिन पूछताछ करने नहीं आया। इसी फ्लोर पर मौजूद कुछ वार्ड में भास्कर की टीम पहुंची। इन वार्डों की लाइट बंद थी। मरीज सो रहे थे। इसके बाद टीम कई वार्ड को कॉरिडोर में घूमती रही और फिर अस्पताल से बाहर निकल गई। ये लूप होल देखने को मिले….. भास्कर की टीम 2 घंटे तक अस्पताल में रही इस दौरान ये पॉइंट ऑब्जर्व किए कोलकाता की घटना के बाद दो अस्पतालों में वारदात हो चुकी ब्यावरा: 12 साल की बच्ची के साथ रेप की कोशिश यहां 28 अगस्त की रात 12 साल की बच्ची से रेप और हत्या की कोशिश की गई। देर रात करीब 12 बजे जब बच्ची बाथरुम गई तब लौटते समय आरोपी ने उससे रेप की कोशिश की। चीखने पर गला दबाकर मारना भी चाहा। हालांकि, बच्ची के चीखने के बाद परिजन और सिक्योरिटी गार्ड पहुंच गए थे और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। जिस जगह आरोपी ने बच्ची के साथ रेप की कोशिश की वहां लगे सीसीटीवी कैमरे बंद पाए गए थे। दमोह: जिला अस्पताल से 4 दिन की बच्ची चोरी दमोह जिला अस्पताल से 29 अगस्त को एक महिला ने चार दिन की बच्ची को चुरा लिया था। हालांकि पुलिस ने जल्द ही आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया। लक्ष्मी सेन नाम की महिला ने बच्ची को चुराया था। पुलिस को जांच के दौरान 15 सेकेंड का सीसीटीवी फुटेज मिला था। इसके बाद पुलिस ने शहर के 150 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे तब कहीं जाकर महिला का पता चला। बाकी शहरों का हाल भी जानिए… सागर: बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के मेन गेट पर कोई गार्ड नहीं बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में मेन गेट से लेकर बिल्डिंग के गेट तक अंधेरा है। यहां पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था नहीं है। मेन गेट पर कोई गार्ड मौजूद नहीं था। वार्ड में भी सन्नाटा पसरा रहता है। भास्कर रिपोर्टर ने चालीस मिनट तक जायजा लिया मगर सुरक्षा के बंदोबस्त नजर नहीं आए। इंदौर: महिला डॉक्टरों के लिए अलग से ड्यूटी रूम की व्यवस्था इंदौर में एमवाय, एमटीएच, टीबी और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सेफ्टी कमेटी और वायलेँस प्रिवेंशन कमेटी का गठन किया है। अस्पतालों में महिला डॉक्टरों के लिए अलग से ड्यूटी रूम की व्यवस्था की जा रही है। हर फ्लोर पर सीसीटीवी लगे हैं जहां दरकार है वहां भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। ग्वालियर: सिविल अस्पताल में लगे कैमरे हजीरा क्षेत्र में स्थित सिविल अस्पताल के अंदर और बाहर गार्ड तैनात किए गए हैं। अस्पताल के जिन स्थानों कैमरे लगाने की जरूरत थी वहां कैमरे लगाए गए हैं, लाइट को दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है। डार्क स्पॉट पर भी रोशनी की जा रही है। खंडवा: मेडिकल कॉलेज में स्ट्रीट लाइटें खराब खंडवा मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स व स्टाफ की सुरक्षा के इंतजाम तो किए गए है लेकिन यहां अंधेरा सा छाया रहता है। एंट्री गेट से लेकर कॉलेज परिसर तक स्ट्रीट लाइट खराब हैं। सीसीटीवी कैमरे भी सिर्फ मेन गेट पर हैं। हालांकि, एकमात्र प्रवेश द्वार होने से यहां बाहरी व्यक्तियों को प्रवेश नहीं दिया जाता हैं। जबलपुर: रात होते ही कैंपस में छा जाता है अंधेरा जबलपुर संभाग के सबसे बड़े नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज के हालत खराब है। रात होते ही पूरे कैंपस पर अंधेरा छा जाता है। रात 12 बजे के बाद मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा व्यवस्था नहीं रहती। जिला अस्पताल रात होते ही भगवान भरोसे होता है। यहां गार्ड नहीं है। पुलिस सहायता केंद्र पर भी ताला लटक जाता है। डिस्क्लेमर- कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल में डॉक्टर से रेप और मर्डर के बाद प्रदेश के अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के दावे किए गए हैं। भास्कर की ये रिपोर्ट सरकारी सिस्टम के इसी दावे की पड़ताल है। इस रिपोर्ट का मकसद यही है कि सरकार हमारे अस्पतालों की सुरक्षा का रिव्यू करें, ताकि हमारी जान बचाने वाले डॉक्टर्स और यहां इलाज कराने वाले मरीजों की जिंदगी महफूज रहे।