तत्कालीन कलेक्टर को हाई कोर्ट की नसीहत मप्र हाई कोर्ट ने स्टे के बाद भी बस स्टैंड के पास बनी दुकानों को तोड़ने पर नाराजगी जताई है। दुकानदारों की अपील को स्वीकार करते हुए जस्टिस सुनीता यादव और जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के की डिवीजन बेंच ने कहा – 9 जुलाई 2022 को हाई कोर्ट ने अंतरिम तौर पर दुकानदारों को जबरन बेदखल करने पर रोक लगाई थी। इसके बाद भी 2 अगस्त 2022 को तत्कालीन कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह की अगुवाई में राजस्व अधिकारियों ने दुकानों की तुड़ाई की। कलेक्टर का ये कृत्य हाई कोर्ट की अवमानना है। लेकिन कोर्ट इस मामले में नरम रुख अपनाते हुए उन्हें चेता रहा है कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं हो। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी मप्र को भी निर्देश दिया कि वे कलेक्टर को भविष्य में कोर्ट के आदेश का निरादर नहीं करने की सलाह दें नहीं तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। डिवीजन बेंच ने नगर निगम आयुक्त को आदेश दिया कि वे 3 माह के भीतर दुकानदारों को दुकान / स्थान आवंटित करें। जब तक आदेश का पालन नहीं हो जाता, तब तक पूर्व में दिया गया यथास्थिति का आदेश प्रभावी रहेगा। यहां बता दें कि कौशलेंद्र विक्रम सिंह वर्तमान में भोपाल कलेक्टर हैं। वहीं इस मामले में राजस्व अधिकारियों, विशेषकर कलेक्टर से स्पष्टीकरण मांगा गया। कलेक्टर ने जवाब दिया कि कोर्ट में दायर प्रकरण में राजस्व अधिकारी पक्षकार नहीं है। इसके चलते उन्हें आदेश की जानकारी ही नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि ये जवाब हजम करने योग्य नहीं है। पूरा मामला एक नजर में:{ एमपीएसआरटीसी ने बस स्टैंड के पास दुकानें 25 अप्रैल 2027 तक लीज पर दीं। { एमपीएसआरटीसी ने 22 दिसंबर 2021 को दुकानदारों को एकाएक नोटिस जारी कर लीज निरस्त कर दी और दुकान खाली करने के लिए कहा। { इस आदेश को दुकानदारों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 17 जून 2022 को याचिका खारिज हो गई। { सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए 9 जुलाई 2022 को स्टे दिया गया। { 2 अगस्त 2022 को राजस्व अमले ने दुकानों की तुड़ाई कर दी।