मां ने दूसरी बार दी जिंदगी:जिगर के टुकड़े को मां ने दी किडनी, एक साल से डायलिसिस पर था 28 साल का बेटा

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हमीदिया अस्पताल में एक 48 साल की मां द्वारा अपने 28 साल के बेटे को किडनी देकर दोबारा जीवन देने का मामला सामने आया है। बेटे का दो साल से हाइपरटेंशन का इलाज चल रहा था। इस दौरान उसके किडनी के फंक्शन न होने की बात सामने आई। इसके बाद बीते एक साल से बेटा डायलिसिस कराकर जीवन जी रहा था। मां से यह तकलीफ देखी नहीं जा रही थी। वहीं दूसरी तरफ सफाईकर्मी का काम करते हुए आर्थिक तंगी के कारण किडनी ट्रांसप्लांट जैसा इलाज उसके लिए बहुत दूर की बात थी। इस पर हमीदिया के डॉक्टर्स ने उसे आयुष्मान कार्ड के जरिए किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी। निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट करने में 10 से 15 लाख रुपए तक खर्च आता है। युवक की मां ने हमीदिया के चिकित्सकों को अपनी परेशानी बताई, और अपनी किडनी बच्चों को देने का निर्णय लिया। इसके बाद डॉक्टर ने नि:शुल्क आयुष्मान योजना से सफल ट्रांसप्लांट किया। मां और बेटे दोनों स्वस्थ हैं। जल्द छुट्टी दे दी जाएगी।
इस टीम ने किया ट्रांसप्लांट किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. आरआर बर्डे, प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. सौरभ जैन, डॉ. अमित जैन, डॉ. समीर व्यास, डॉ. नरेन्द्र कुर्मी, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. बृजेश कौशल, डॉ. श्वेता श्रीवास्तव आदि शामिल थे। पांच सेमी का चीरा लगाकर किया ट्रांसप्लांट हमीदिया अस्पताल में यह किडनी ट्रांसप्लांट लेप्रोस्कोपिक नेफ्रेक्टॉमी विधि (की होल सर्जरी) से किया गया। ओपन सर्जरी में डोनर को करीब 25 सेंटीमीटर लंबा कट लगाना पड़ता है। वहीं की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में महज पांच सेमी का चीरा लगाकर डोनर की किडनी निकाली गई। डॉक्टरों के मुताबिक, इस विधि में डोनर को अपेक्षाकृत कम तकलीफ होती है और एक दिन में ही उसे डिस्चार्ज होने लायक बनाती है। इस ट्रांसप्लांट में मां ने अपनी किडनी दान कर बेटे को नया जीवन दिया। अब तक 8 किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके
^युवक के किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जब परिजनों की जांच की गई, तो उसकी मां अनीता का ब्लड ग्रुप उससे मैच हो गया। अब तक 8 ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। एनएमसी ने जीएमसी को यूरोलॉजी की तीन एमसीएच सीटें दी हैं। इसलिए हम डिपार्टमेंट को अपग्रेट करेंगे। इससे ट्रांसप्लांट और बेहतर तरीके से हो यहां हो पाएंगे।
डॉ.कविता एन सिंह, डीन गांधी मेडिकल कॉलेज