नर्मदा बचाओ आंदोलन के 39 साल पूरे:जिला मुख्यालय पर हुई सभा, निकाली रैली; अलग-अलग राज्यों के विस्थापित और वक्ता हुए शामिल

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नर्मदा बचाओ मानव बचाओ, बिन पुनर्वास डूब मंजूर नहीं जैसे नारों के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर जिला मुख्यालय पर शनिवार को रैली और जनसभा का आयोजन किया। इस दौरान अलग-अलग राज्यों से आए वक्ताओं ने बैलगाड़ी पर सवार होकर रैली में भाग लिया। वहीं मप्र सहित महाराष्ट्र व गुजरात के प्रभावित भी रैली में शामिल हुए। रैली के बाद नवलपुरा स्थित यादव धर्मशाला में हुई सभा में नबआं नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि 39 साल के संघर्ष और निर्माण के बाद भी 40वे साल भी जीवटता से वंचितों, शोषितों के लिए विस्थापितों का संघर्ष जारी रखना है। विकास की अवधारणा पर सवाल उठाने विस्थापितों का हक है। विकास विरोध का आरोप गलत है, तो हमारा सत्य है। बिना पुनर्वास डूब नामंजूर है तो इस सालए सितंबर में भी सरदार सरोवर का जलस्तर बढ़ने न देने का ऐलान और जल सत्याग्रह की चेतावनी दोहराई है। मेधा ने कहा कि नर्मदा का जल शुद्ध नहीं होकर प्रदूषण से भरा है। शहरी गंदगी नर्मदा में मिलना, अवैध रेत खनन होना, प्रदूषित पानी से पेयजल बर्बाद होना यह नामंजूर है। आदिवासी बच्चों ने प्रस्तुत किया आकर्षक नृत्य शहर के कारंजा चौराहा स्थित शहीद स्तंभ पर शहीदों को पुष्प अर्पित कर नमन किया। यहां से मोटीमाता, एमजी रोड, रणजीत चौका, झंडा चौक, तिरछी पुलिया होकर रैली नवलपुरा स्थित यादव धर्मशाला पहुंची। रैली में ग्राम भादल के आदिवासी बच्चों के नृत्य से ही रैली और सभा भी सजाई गई। रैली के बाद हुई जनसभा में पर्यावरणवादी उड़ीसा के प्रफुल्ल सामंतरा, बंगाल के प्रदीप चटर्जी, राजस्थान के निखिल डे, जलवायु विशेषज्ञ सौम्या दत्ता सहित आंदोलनकारी विस्थापितों ने अपनी बात रखी। कैलाश यादव और कमला यादव, श्याम भारत मछुआरा, सुशीला नाथ, मुकेश भगोरिया, राहुल यादव, पहाड़ी पट्टी के गोखरू भाई सोलंकी आदि ने घाटी की चुनौतियां बयां की। वहीं गत वर्ष 2023 में आई डूब, बिना संपूर्ण पुनर्वास होते हुए अवैध है। इसलिए नुकसान की राहत उर्वरितों को मिले और संपूर्ण नुकसान भरपाई सबको मिले।