पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व का आज (31 अगस्त) को भारत भर में मंगलमय शुभारंभ हुआ है। इसी के साथ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर तुकोगंज रोड पर पर्युषण के शुभारंभ अवसर पर साध्वीजी शुभवर्धना श्रीजी , जयवर्धना श्रीजी ने कहा कि पर्युषण के अंतर्गत पुण्य का पोषण एवं पाप का शोषण होता है। इस पर्व के अंतर्गत पांच कर्तव्यों का निर्वाहन किया जाता है। ये कर्तव्य है-अहिंसा पालन, साधर्मिक भक्ति, क्षमापना, अठ्ठमतप, चौत्य परिपाटी। अहिंसा इस पर्व का प्राण तत्व है। जैन जगत के इतिहास में इस अहिंसा का पालन करके असंख्य जीवात्मा मोक्षगामी बनी है। साधर्मिक याने सहधर्मी की भक्ति करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। यदि हम सक्षम है तो हमारे सहधर्मी की कठिनाइयों को अवश्य दूर करना चाहिए। क्षमापना हमारे मित्रों और शत्रुओं सभी से करना होगी तब ही पर्व की सार्थकता बनेगी। अठ्म तप के अंतर्गत पर्यूषण के दौरान तीन उपवास किए जाते हैं और चौत्य परिपाटी करके सभी जिन मंदिरों के दर्शन और स्पर्शना की जाती है। आपने कहा कि जिस प्रकार हजारों किमी लंबी रेल की पटरी में से यदि कुछ सेंटीमीटर पटरी हटा दी जाए तो भयावह दुर्घटना हो सकती है। उसी प्रकार इन पांचों कर्तव्यों में से एक का भी पालन नहीं करेंगे। यह पर्व हमारे लिए लाभदायक नहीं बन सकेगा। प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि आज (31 अगस्त) को पर्युषण के प्रथम दिवस पर दोपहर 2 बजे नवपद जी पूजन का आयोजन श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ ट्रस्ट मंडल द्वारा किया गया। रात्रि महा आरती के बाद स्तवन अंताक्षरी और भक्ति भावना के विशिष्ट कार्यक्रम हुए। आठ दिनों तक यह आयोजन होंगे।