एक मासूम ने जमीन पर पैर जमाना सीखा ही था और वह दुनिया से विदा हो गया। घर के कामकाज में लगी मां ने मासूम को हाथ में बोटनी थमा दी। ताकि, भूख लगने पर वह दूध पीता रहे और आंगन में खेलते रहे। क्योंकि, दादी बीमार थी और रोज की तरह पिता भी ड्राइवरी के लिए घर से निकल गए। ढ़ाई साल का बालक अयांत तो दुनिया की रीत से अंजान था। वो घर के बाहर निकला और पैदल-पैदल 500 मीटर दूर खेतों तरफ आ गया। परिवार भी अनजान है कि वो इतनी दूर कैसे पहुंच गया। जाने-अनजाने में जैसे भी पहुंचा लेकिन वह एक बार लौटकर तो आ जाता। वो बच्चा था, बड़ा हंसमुख और खूबसूरत था। अभी घुटने से पैरों तक चलना सीखा और पापा-मम्मी बोलने ही लगा था। ये कहना है, 24 साल के अजय बछानिया (आदिवासी) का। जिनके इशारों पर नाचकूद करने वाला ढ़ाई साल का बेटा आयांत अब इस दुनिया में नहीं रहा है। पूरा परिवार नम आंखों में उसकी यादों को समाएं हुए है। वे पुनासा तहसील के ग्राम उदयपुर में रहते है। सड़क किनारे बारिश के पानी से भरे गड्ढे में अजय के बेटे अयांत की डूबने से मौत हो गई है। नर्मदानगर पुलिस के मुताबिक, वो सरकारी गड्ढा था। शुक्रवार दोपहर 2 बजे शव बरामद कर पीएम कराया। परिजन ने अंतिम संस्कार कर दिया है। इच्छा थी- बेटे का अच्छे स्कूल में दाखिला करवाएंगे पिता अजय का कहना है कि हमारी इच्छाएं, ख्वाहिशें दफन हो गई। मैं आदिवासी काेरकू समाज से आता हूं और आयशर वाहन पर ड्राइवरी करता हूं। मेरी पत्नी कहती थी कि बेटे का अच्छे स्कूल में दाखिला कराएंगे। उसे खूब पढ़ाएं-लिखाएंगे। हम लोग परवरिश में भी कोई कमी नहीं रखते थे। रोज काम पर जाता हूं, घर लौटते समय उसके लिए कुछ ना कुछ खाने के लिए लाता था। दूसरा बेटा 4 महीने का हैं। मां-दादी का रो-रोकर बुरा हाल है।