लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी को न्यूनतम वेतनमान का भुगतान नहीं करने पर हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। कलेक्ट्रेट में बतौर वाहन चालक सेवाएं दे रहे ओमवीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा ने लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर (सीई) एसएल सूर्यवंशी से कहा- भुगतान के संबंध में हाई कोर्ट स्पष्ट आदेश दे चुका है। इसके बाद भी कर्मचारियों को भुगतान नहीं किया जा रहा। आप लोगों ने क्लासिफाइड (स्थाई वर्गीकृत) कर्मचारियों का मजाक बनाकर रखा है। कोर्ट की सख्ती को देखते हुए सीई ने शपथ पत्र पर अंडरटेकिंग दी। इसके अनुसार रामनरेश रावत प्रकरण से जुड़े अवमानना के सभी लंबित मामलों में कोर्ट के आदेश का पालन 90 दिन में किया जाएगा। एडवोकेट देवेश शर्मा ने बताया- याची ओमवीर सिंह लोक निर्माण विभाग में वाहन चालक (ड्राईवर) के पद पर नियुक्त हुआ। 1998 में श्रम न्यायालय ने न्यूनतम वेतनमान के भुगतान का आदेश दिया। जब आदेश का पालन नहीं हुआ तो ओमवीर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। न्यूनतम वेतनमान के भुगतान से जुड़े एक अन्य मामले में पीएचई के चीफ इंजीनियर आरएलएस मौर्य की भी पेशी हुई। याची उपेंद्र तोमर के एडवोकेट देवेश शर्मा ने बताया कि कोर्ट के सख्त रवैये को देखते हुए चीफ इंजीनियर ने चार सप्ताह के भीतर भुगतान करने की बात कही।