नीट यूजी काउंसलिंग-2024:जीएमसी भोपाल के कटऑफ में 44 मार्क्स की बढ़ोतरी, 668 पर सीट अलॉट, एमजीएम इंदौर 678 पर पहुंचा

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चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) ने गुरुवार को मप्र कंबाइंड नीट यूजी काउंसलिंग-2024 के फर्स्ट राउंड के तहत एमबीबीएस और बीडीएस में प्रवेश के लिए सीट अलॉटमेंट कर दिया है। हर बार की तरह इस बार भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर छात्रों की पहली और जीएमसी भोपाल दूसरी पसंद रहा है। नीट यूजी-2024 के हाई स्कोरिंग रिजल्ट का असर सीट अलॉटमेंट पर साफ तौर पर देखने का मिला है।
मेडिकल कॉलेजों का कटऑफ (क्लोजिंग नीट स्कोर) बढ़ा है। जीएमसी भोपाल की कटऑफ रैंक में इस बार 44 मॉर्क्स की बढ़ोतरी हुई है। 2023 में कटऑफ रैंक 624 थी, जो इस साल 668 पर पहुंची है। इंदौर के एमजीएम का कटऑफ 678 और ग्वालियर के जीआरएमसी का कटऑफ 658 रहा। वहीं प्रदेशभर के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अनारक्षित वर्ग का ओवरऑल कटऑफ 625 रहा है। यानी, नीट यूजी में इतना स्कोर प्राप्त करने वाले छात्र को सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए एमबीबीएस की सीट दी गई है। इस बार 3 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज शामिल किए गए हैं, जिससे इनकी संख्या 17 हो गई है।
पिछले सत्र में 14 मेडिकल कॉलेज थे, तब फर्स्ट राउंड में अनारक्षित वर्ग का कटऑफ 567 था। यदि नए कॉलेजों के कटऑफ को नहीं देखा जाए तो इस बार शेष पुराने 14 मेडिकल कॉलेजों के ओवरऑल कटऑफ स्कोर में 61 मार्क्स की वृद्धि हुई है। पिछली बार कटऑफ स्कोर 567 था। इस स्कोर पर सरकारी मेडिकल कॉलेज सतना में अनारक्षित वर्ग के छात्र को सीट दी गई थी। तीन नए मेडिकल कॉलेज आने पर भी इस स्कोर पर अनारक्षित वर्ग के छात्रों को किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं मिल सकी है। सिलेबस कम होने से पिछले साल की अपेक्षा बढ़ा कटऑफ स्कोर 2029 सरकारी मेडिकल कॉलेज में कुल सीट
1949 सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट अलॉटमेंट
2400 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में कुल सीट
2244 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में सीट अलॉटमेंट एक्सपर्ट व्यू – रिविजन करने के लिए ज्यादा समय मिला
^इस बार सिलेबस कटौती होने से कटऑफ बढ़ा है। पेपर पिछली बार भी सरल था। इस बार भी सरल था। लेकिन, इस बार सिलेबस कटौती का ज्यादा असर हुआ। पहले जहां छात्र सिलेबस का 10 बार रिविजन करता था तो इस बार 20 बार रिविजन कर पाया। रिविजन करने के लिए पहले की अपेक्षा ज्यादा समय मिला। इससे उसकी टॉपिक्स पर पकड़ मजबूत हुई। ज्यादा सिलेबस होने पर कम रिवीजन कर पाता था। उदाहरण के लिए केमिस्ट्री में ही 30 टॉपिक्स में से 10 टॉपिक कम किए गए। इसका साफ असर कटऑफ पर हुआ है।
सरफराज खान, सब्जेक्ट एक्सपर्ट