नर्मदा बचाओ आंदोलन को 39 साल पूरे होने को है। इसे लेकर आगामी 31 अगस्त को जिला मुख्यालय पर रैली और सभा का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में वक्ताओं की ओर से डूब प्रभावित और विस्थापितों के हक के लिए किए काम के बारे में लोगों को बताया गया है। नबआं नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि हमारे आंदोलन ने 39 सालों तक अहिंसक सत्याग्रह के द्वारा कानूनी लड़ाई से भी न्याय पाकर सरदार सरोवर के विस्थापितों को जमीन, भूखंड, अनुदान, पुनर्वसाहटों का हक हासिल किया है। तीन राज्यों के करीबन 50 हजार पुनर्वासित होने के बाद भी उर्वरित पुनर्वास के लिए धरना, उपवास और जनशक्ति की आवाज जारी रही है। राहुल यादव ने कहा कि नबआं के 39 साल पूर्ण होने पर बड़ी संख्या में घाटीवासी जुटेंगे। इस दौरान किसान, मजदूर, मछुआरे, कुम्हार, पशुपालक, व्यापारियों, जिन्हें अब तक हक नहीं मिला और सही पूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ। वे भी अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि टीनशेड में प्रभावितों की जिंदगी बेहाल है। साथ ही लाभ से वंचित रखना भी गैरकानूनी है। नबआं के देवीसिंह तोमर, गेंदालाल भिलाला, श्यामा मछुआरा, राकेश पाटीदार, मुकेश भगोरिया, कमला यादव, सुशीला नाथ, बालाराम यादव, गोखरू मांगल्या, नूरजी वसावे, लतिका राजपूत, चेतन साल्वे ने बताया कि 31 अगस्त को जिला मुख्यालय पर गांव-गांव से घाटीवासी जुटेंगे। शहीद स्तंभ से रैली निकाली जाएगी और नवलपुरा यादव धर्मशाला जनसभा आयोजित की जाएगी। इस दौरान नर्मदा घाटी के साथ ही आसाम से केरल तक के नदियों को बचाने वाले आंदोलन जीवी साथी भी आएंगे। नदी संरक्षण, सुरक्षा और पुनर्जीवन विधेयक घोषित करेंगे।