मप्र की दमोह पुलिस ने 10वीं के छात्र के अंधे कत्ल का पर्दाफाश करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। हत्या का ये मामला इतना पेचीदा था कि पुलिस को इसे सुलझाने में 17 महीने लग गए। दरअसल, पुलिस को पिछले साल 14 मई को खेत से एक कंकाल मिला था। पिपरिया गांव के रहने वाले लक्ष्मण पटेल और पत्नी यशोदा ने कपड़े और सामान के आधार पर कंकाल की शिनाख्त अपने बेटे जयराज के रूप में की थी। पुख्ता सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने दो बार कंकाल की डीएनए जांच करवाई, लेकिन डीएनए मैच नहीं हुआ। पुलिस को बाद में पता चला कि जयराज का जन्म आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक से हुआ था। इसी बीच अधिकारियों के हाथ अमेरिका पुलिस की एक किताब लगी। इसमें IVF तकनीक से पैदा हुए बच्चों का डीएनए टेस्ट खून की बजाय पसीने और मुंह के लार के सैंपल से किए जाने का जिक्र था। दमोह पुलिस ने इसी तकनीक के आधार पर न केवल कंकाल की शिनाख्त जयराज के रूप में की बल्कि हत्या के आरोपी को भी गिरफ्तार किया। क्या था ये पूरा मामला, जयराज की हत्या किसने और क्यों की थी। पढ़िए ये पूरी रिपोर्ट… माता-पिता ने बेल्ट और कपड़े देखकर की शिनाख्त जयराज के पिता लक्ष्मण पटेल बताते हैं कि हमने अपने स्तर पर बेटे को ढूंढने की कोशिश की थी। उसे ढूंढकर लाने वाले को पांच लाख रु. इनाम देने का ऐलान भी किया था। जिस दिन पुलिस को मेरे ही खेत से कंकाल मिला तो मैं और पत्नी दोनों साथ गए थे। कंकाल के पास से पैंट, टी-शर्ट और बेल्ट मिला, जो कपड़े मिले, वह मैंने ही बेटे को दिलाए थे। जिस दिन वह लापता हुआ, उस दिन उसने वही कपड़े पहन रखे थे। मैंने और पत्नी ने उन कपड़ों को पहचानते हुए पुलिस को बताया कि यह हमारा बेटा जयराज है। पुलिस ने दो बार डीएनए टेस्ट किया, दोनों बार हुआ फेल माता-पिता ने तो कपड़े से कंकाल की शिनाख्त कर ली थी, लेकिन पुलिस को पुख्ता सबूत चाहिए थे। इसलिए पुलिस ने डीएनए जांच का सहारा लिया। लक्ष्मण और यशोदा के ब्लड और हड्डियों के सैंपल जांच के लिए सागर की फॉरेंसिक लैब भेजे गए। पुलिस ने तब तक नर कंकाल को सील कर अपनी कस्टडी में रखा। कुछ दिनों बाद सागर एफएसएल से रिपोर्ट आई कि कंकाल और लक्ष्मण पटेल और यशोदा का डीएनए मैच नहीं हुआ। सागर से रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस ने एक बार फिर परिवार के सैंपल लिए और इन्हें चंडीगढ़ एफएसएल लैब भिजवाया। तकनीक के मामले में चंडीगढ़ एफएसएल लैब की गिनती देश की सबसे अच्छी लैब के रूप में होती है। मगर, यहां से भी जो रिपोर्ट मिली उसने परिवार के साथ पुलिस को भी निराश किया। इस रिपोर्ट में भी डीएनए मैच नहीं हुआ था। अब पुलिस के सामने चुनौती थी कि जो कंकाल मिला वो जयराज का था या किसी और का। परिवार ने अंतिम संस्कार के लिए कंकाल की मांग की, पुलिस ने मना कर दिया लक्ष्मण और यशोदा दावा कर रहे थे कि कंकाल जयराज का ही है। इसी आधार पर उन्होंने पुलिस से कंकाल सौंपने की गुहार लगाई ताकि वे उसका अंतिम संस्कार कर सके। पुलिस ने नियम और कानून का हवाला देकर कंकाल परिजन को सौंपने से इनकार कर दिया। परिजन का ये इंतजार लंबा होता गया और एक साल गुजर गया। पुलिस ने इंदौर के IVF सेंटर से संपर्क किया, लेकिन मदद नहीं मिली लक्ष्मण पटेल ने पुलिस को बताया कि यशोदा से उनकी शादी 2004 में हुई थी। शादी के चार साल तक उन्हें कोई संतान नहीं हुई तो दोनों इंदौर के एक IVF सेंटर में गए थे। साल 2009 में टेस्ट ट्यूब टेक्नीक से जयराज पैदा हुआ था। पुलिस ने इंदौर के इस IVF सेंटर का पता लगाया और स्पर्म डोनर की जानकारी मांगी, लेकिन सेंटर ने नियमों का हवाला देते हुए स्पर्म डोनर की जानकारी नहीं दी। पुलिस सेंटर से लगातार पत्र व्यवहार करती रही। फॉरेंसिक साइंस से जुड़ी किताब में एएसपी को मिला क्लू दमोह के तत्कालीन एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा के सामने जब ये केस आया, तो उन्होंने एफएसएल से जुड़ी किताबें पढ़ी। इस दौरान उन्हें अमेरिका में IVF तकनीक से पैदा हुए बच्चों की चोरी का एक केस पढ़ने को मिला। अमेरिका की पुलिस ने इन बच्चों की शिनाख्त के लिए डीएनए टेस्ट करवाया था। इसके लिए जिन पेरेंट्स ने बच्चों पर दावा किया था उनके घर से बच्चों की वस्तुएं मंगाई गई थीं। उन वस्तुओं पर लार या पसीने के सैंपल की बच्चे के डीएनए से जांच की गई। जिन बच्चों का डीएनए मैच हुआ उन्हें उनके पेरेंट्स को सौंपा गया था। हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस ने परिजन को सौंपा कंकाल पुलिस के गैर जिम्मेदार रवैये को देखते हुए लक्ष्मण पटेल ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई और कंकाल सौंपने की मांग की। कोर्ट ने पुलिस को कंकाल सौंपने के आदेश दिए, तब तक दमोह एसपी के तौर पर श्रुतिकीर्ति सोमवंशी चार्ज ले चुके थे। भास्कर से बात करते हुए एसपी सोमवंशी ने कहा- मेरे संज्ञान में जब ये मामला आया, तब मैंने टीआई को लक्ष्मण पटेल को सबसे पहले कंकाल सौंपने के लिए कहा। तत्कालीन टीआई सुधीर बेगी कंकाल लेकर गांव पहुंचे और उसे लक्ष्मण पटेल के सुपुर्द किया। 13 महीने बाद 12 मई 2024 को लक्ष्मण ने अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया। सीएम से मिले परिजन, तब एक्शन में आई पुलिस इसके बाद कातिल की गिरफ्तारी के लिए लक्ष्मण पटेल ने सीएम डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की। दरअसल, जिस दिन जयराज का कंकाल मिला था उसी दिन लक्ष्मण ने हत्या के लिए जिम्मेदार आरोपियों के नाम बताए थे। मगर पुलिस के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। साथ ही कंकाल जयराज का ही है ये भी वैज्ञानिक तौर पर साबित नहीं हुआ था। सीएम के निर्देश के बाद एक बार फिर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। एएसपी संदीप मिश्रा ने जिस किताब के पन्ने के साथ तत्कालीन टीआई को पत्र लिखा था। उसी आधार पर नए सिरे से डीएनए जांच का फैसला लिया गया। पुलिस ने लक्ष्मण पटेल के घर से जयराज के बचपन के खिलौने, कपड़े, गल्ब्स, टोपी, सीटी, स्कूल का आई कार्ड इकट्ठा किए। इन सभी वस्तुओं को चंडीगढ़ की एफएसएल लैब भेजा गया। पुलिस को उम्मीद थी कि इन वस्तुओं में जयराज के शरीर के बाल, नाखून या पसीने के सैंपल मिल सकते हैं। पुलिस ने जयराज के चचेरे भाई मानवेंद्र को हिरासत में लिया दरअसल, लक्ष्मण ने जयराज के अपहरण और हत्या के लिए अपने सौतेले भाई दशरथ पटेल के बेटे मानवेंद्र पर शक जाहिर किया था। गांव के लोगों ने भी जयराज को आखिरी बार मानवेंद्र के साथ ही देखा था। लक्ष्मण ने पुलिस को बताया था कि वह और दशरथ एक मां पार्वती की संतान थे, लेकिन उनके दो पिता थे। लक्ष्मण पटेल के पिता श्यामले पटेल तो दशरथ पटेल के पिता धनीराम पटेल थे। ये भी बताया कि दशरथ और उसके बेटे मानवेंद्र की उनकी संपत्ति पर नजर है।पुलिस ने लक्ष्मण के शक के आधार पर मानवेंद्र को हिरासत में लिया। उससे जब सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया और उसने जयराज की हत्या करना कबूल किया। मानवेंद्र की लक्ष्मण की संपत्ति पर नजर थी पूछताछ में मानवेंद्र ने बताया कि जब लक्ष्मण पटेल को कोई संतान नहीं हुई तो उसे उम्मीद थी कि पूरी संपत्ति का वो अकेला वारिस होगा। मगर, आईवीएफ तकनीक के जरिए जयराज का जन्म हुआ तो उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। दरअसल, लक्ष्मण पटेल की 100 एकड़ खेती है साथ ही दमोह में एक प्लॉट और मकान भी है जिसकी कीमत करोड़ों रु. है। मानवेंद्र जैसे ही बड़ा हुआ वह जयराज को रास्ते से हटाने का प्लान तैयार करने लगा। उसने बताया कि ये मौका उसे 28 मार्च को मिला। मोटरसाइकिल सिखाने के लिए वह दोपहर 12 बजे जयराज को अपने साथ ले गया। खेत में पहुंचकर उसने जयराज की गला दबाकर हत्या कर दी और खेत में लाश को दबा दिया था। डेढ़ महीने बाद अचानक कंकाल बाहर आ गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे 25 अगस्त को जेल भेज दिया गया।