मंडला जिले में मानसून 6 दिन की देरी से आया। लोग सोचने लगे कि शायद इस बार बादल नहीं बसरने वाले, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहां सीजन में अब तक करीब 50 इंच बारिश हो चुकी है। मंडला मध्यप्रदेश का सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला बन गया है। जिले में नदी-नाले उफान पर हैं। पानी के तेज बहाव में 9 लोग बह गए। 7 लोगों पर बिजली गिर गई। 60 मकान टूट गए, लेकिन धान की फसल लहलहा रही है। इस फसल के लिए बारिश अमृत से कम नहीं है। सिवनी और श्योपुर में भी इस साल तेज बारिश हुई। इन तीन जिलों में पिछले साल के मुकाबले अब तक ज्यादा पानी गिर चुका है। बारिश से कुछ फसलों को फायदा पहुंचा है तो कुछ को काफी नुकसान भी हुआ है। पूरे प्रदेश में इस बार मानसून खूब बरसा, लेकिन मुरैना और दतिया जिले में औसत से कम बारिश हुई है। सबसे पहले ज्यादा बारिश वाले मंडला जिले के हाल जानिए मंडला: 586 मकानों को नुकसान, तिलहन में बीमारी का खतरा मंडला जिले में सालभर में औसतन 54 इंच बारिश होती है। अभी अगस्त का महीना भी नहीं बीता है और करीब 50 इंच पानी गिर चुका है। पिछले साल की बात करें तो अगस्त तक सिर्फ 37 इंच ही बारिश दर्ज की गई थी। ज्यादा बारिश से मटियारी, बंजर, बुढनेर, थांवर नदी सहित अन्य नदी-नाले उफान पर आ गए। बह जाने से 9 लोगों की जान चली गई। बिजली गिरने से 7 लोगों ने दम तोड़ दिया। 60 मकान ढह गए। 586 मकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है। नैनपुर तहसील में सबसे ज्यादा 58.11 इंच बारिश दर्ज की गई है, जो जिले के वार्षिक औसत से 3.41 इंच ज्यादा है। किसान खुश, लेकिन धान में फफूंद का खतरा मंडला में बिछिया के किसान और पूर्व मंडी अध्यक्ष सुनील नामदेव ने बताया, मंडला धान उत्पादक जिला है। इसलिए जोरदार बारिश धान उत्पादक किसानों के लिए खुशहाली लेकर आई है। लेकिन धान में फफूंद और कीट जनित प्रकोप भी देखा जा रहा है। जिले में मक्का, सोयाबीन सहित अन्य दलहन और तिलहन की फसल भी बोई जाती है। इन्हें भी भारी बारिश से नुकसान की आशंका है। स्ट्रॉन्ग सिस्टम बनने से यहां भारी बारिश मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि 21 जून को जिन 6 जिलों से मानसून मध्यप्रदेश में एंटर हुआ था, उनमें मंडला भी शामिल रहा। बंगाल की खाड़ी से मानसून की एक्टिविटी हुई थी। इस जिले में शुरुआत से ही बारिश का दौर बना रहा। लो प्रेशर एरिया, साइक्लोनिक सकुर्लेशन और वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) का असर यहां ज्यादा देखने को मिला। अगस्त की शुरुआत के 3 दिन और आखिरी दिनों में यहां अच्छी बारिश हुई। जून, जुलाई और फिर अगस्त में कोटे से अधिक पानी बरसा। इसलिए सीजन की कुल बारिश का आंकड़ा 54 इंच से अधिक पहुंच गया। सामान्य बारिश के आंकड़े को छूने में अब सिर्फ 2 इंच पानी की और जरूरत है। दूसरी ओर, अब तक मंडला में 24 प्रतिशत ज्यादा पानी गिर गया है। श्योपुर: दोगुना बारिश, सुंडी और सांढ़ गांव कई दिनों से टापू बने श्योपुर में अब तक औसतन 21 इंच बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 40 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है। यानी करीब दोगुनी बारिश। पार्वती, सीप और अमराल नदी उफान पर रही। एक बच्चे समेत 4 लोगों की बहने से मौत हो गई। किसान नेता नाथूलाल मीणा का कहना है कि बारिश से धान को तो फायदा है लेकिन तिली, उड़द को नुकसान हुआ है। सरकार को सर्वे करवाने के बाद उचित मुआवजा देना चाहिए। सीप नदी का पुल डेढ़ महीने से डूबा सुंडी और सांढ गांव कई दिनों से टापू बने हुए हैं। सीप नदी अभी भी उफान पर है। करीब डेढ़ महीने से नदी पर बना रपटा डूबा हुआ है। मानपुर का ढोढर, बगधिया, हांसलपुर, बगदरी सहित तमाम गांवों से संपर्क अब भी कटा हुआ है। पुल-पुलिया पर से आवागमन बंद कर दिया गया है। डाबली, झरेर मार्ग पर पुलिया के पास सड़क कट गई है, इससे वाहनों की आवाजाही बंद हो गई है। सिवनी: 6 लोग बहे, 12 मकान धराशायी, मक्का पीला पड़ा सिवनी में अब तक 31 इंच बारिश होनी थी, लेकिन 45 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है। ये आंकड़ा 50 फीसदी से ज्यादा है। भीमगढ़ डैम के 4 गेट सीजन में 2 बार खोले गए। वैनगंगा नदी पर बने मझगवां पुल, सुनवार पुल समेत अन्य पुल-पुलिया के ऊपर से अब भी पानी बह रहा है। पुलिया और रपटे से बहकर 6 लोगों की मौत हो चुकी है। 12 मकान तेज बारिश में धराशायी हो गए। यहां सबसे ज्यादा प्रभावित मक्का उत्पादक किसान हुए हैं। करीब 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर में मक्का की फसल लगाई गई है। पलारी क्षेत्र के किसान प्रमोद राय, कृष्ण कुमार उइके, पप्पू ठाकुर सहित कई किसानों का कहना है कि फसलों की वृद्धि कम हो गई है। लखनवाड़ा क्षेत्र के किसान करन बघेल, लकी बघेल और प्रमोद सिंह का कहना है की मक्का पीला पड़ गया है। कई जगह पर पानी जमा होने से जड़ सड़न की बीमारी भी शुरू हो गई है। हालांकि मंगलवार को मौसम साफ रहा। इससे कुछ हद तक खेतों की नमी सूखी है। (मंडला से विवेक अग्निहोत्री, श्योपुर से दीपक शर्मा और सिवनी से विनोद सोनी की रिपोर्ट)