धार पुलिस ने थाने में शिकायत करने पहुंचे एक बच्चे का वीडियो बना लिया। उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। मौज मस्ती के लिए बनाए गए वीडियो को भले ही लोग मजे लेकर देख रहे हैं। लेकिन कानूनविदों ने मामले में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम) क़ानून के उल्लंघन की बात कही है। हाईकोर्ट वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया कि सपना प्रजापत, निवासी विदुर नगर ने इस मामले में शिकायत की है। सपना पेशे से कानून के क्षेत्र से जुड़ी होकर एक सामाजिक कार्यकर्ता है। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया से पता चला कि धार जिले के मनावर पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाली पुलिस चौकी में एक पीड़ित बच्चा अपने पिता की शिकायत लेकर आया था। जिस पर उक्त 5 वर्षीय अवयस्क बालक को लेकर पुलिस चौकी में ही बालक से नाम पूछते हुए बालक से सम्पूर्ण घटना क्रम जानने का वीडियो बनाकर उक्त वीडियो को वाह वही लूटने की नीयत से सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। सोशल मीडिया पर वीडियो में बालक का चेहरा दिखने के साथ ही उसकी नाम-पते सहित पहचान उजागर हुई। वीडियो पुलिस चौकी में ही बनाया गया और उसे प्रचारित एवं प्रसारित किया गया | गूगल सर्च इंजन पर ‘धार जिले के मनावर थाने की पुलिस चौकी में अवयस्क बच्चे ने पिता के खिलाफ की पुलिस को शिकायत’ लिखने पर उक्त खबर में बालक की वीडियो सोशल मीडिया पर देखी जा सकती है, जो की गंभीर विषय होकर धारा 74 किशोर न्याय बालकों की देखरेख संरक्षण अधिनियम में बालकों की पहचान के प्रतिषेद का भी उलंघन है एवं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बालकों के हितों को लेकर एवं उक्त कानून की जन जागरूकता को लेकर किए जा रहे प्रयासों के भी विपरीत है। वीडियो में बालक से पुलिस चौकी के बाहर चप्पल उतराई गई। जो की अत्यंत आपत्तिजनक है और कई गंभीर प्रश्न चिन्ह उत्पन्न करती है। उपरोक्त घटना क्रम से बालक की पहचान उजागर करवाई गई, बल्कि बालक के परिवार में पिता द्वारा किए जा रहे कृत्य भी उजागर होने से बालक यदि पढ़ता होगा तो उसकी कक्षा एवं स्कूल में भी उसकी उपरोक्त पहचान उजागर होने से उसे असहजता का सामना करना पड़ेगा। जो कि, गंभीर बात होकर जांच का विषय है। शिकायतकर्ता ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए उक्त वीडियो को सभी प्लेटफार्म से हटाने की मांग की है। संज्ञान ले सकता है सीडब्ल्यूसी किसी भी नाबालिग या महिला के मामले में मीडिया,प्रशासनिक अफसर और खुद उसका परिवार उसकी पहचान उजागर नहीं कर सकता। यह कानून का उल्लंघन और पूर्णतः ही गलत है। इस तरह के मामले में सीडब्लूसी संज्ञान ले सकता है। वहीं न्यायालय या जिस जगह से यह वीडियो बना है वहां के वरिष्ठ अफसर इसमें संज्ञान ले सकते हैं। – वाचना सिंह, प्रशासक, महिला बाल विकास