28 इंच बारिश के बाद भी आईडीए के 13 साल पुराने ब्रिज भी अच्छे, पीडब्ल्यूडी के नए ब्रिज खराब हुए शहर में अब तक 28 इंच बारिश हो चुकी है। नगर निगम की सड़कें तो बदहाल हुई ही, पुलों पर भी जानलेवा गड्ढे हो गए हैं। शहरी क्षेत्र में इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के ब्रिज पर कभी भी गहरे गड्ढे नहीं हुए, जबकि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के ब्रिज बुरी तरह उधड़ गए हैं। आईडीए के ब्रिज में मरम्मत की जरूरत भी नहीं पड़ी है। पीडब्ल्यूडी के ब्रिज पर इतने गहरे और खतरनाक गड्ढे हैं कि वाहन चलाते वक्त ध्यान नहीं रखा तो असंतुलित होकर एक्सीडेंट होना तय है। दोनों द्वारा बनाए गए दो-दो ब्रिज का एक्सपर्ट एनालिसिस।
पीपल्याहाना ब्रिज : 49 करोड़ का ब्रिज दो साल में बना। 4 बारिश बाद भी दोनों लेन में कोई बड़ा गड्ढा नहीं है।
जूनी इंदौर ब्रिज : 2011 में बना। 13 साल बाद भी ब्रिज पर कहीं गड्ढा नहीं है। रोजाना 1 लाख से अधिक वाहन इस से गुजरते हैं। राजेंद्र नगर ब्रिज : 37 करोड़ की लागत से 5 साल में बना। 3 जगह सरिये दिखने लगे। जगह-जगह गड्ढे व सीमेंट उखड़ी है।
तीन इमली ब्रिज : ब्रिज पर चढ़ते ही 4 बड़े और गहरे गड्ढे हैं। मूसाखेड़ी की ओर भी गड्ढे नजर आते हैं। ब्रिज पर लाइट भी नहीं है। आईडीए के ब्रिज क्यों टिकाऊ सीईओ रामप्रकाश अहिरवार का कहना है कि आईडीए के ब्रिज में टाॅप पर सीमेंट कांक्रीट के बाद डामर की दो परत चढ़ाई जाती है, इस पर गिट्टी लगाते हैं। दोनों ढलान भी सीमेंट की होती है। बारिश का पानी बिलकुल नहीं टिकता। भास्कर एक्सपर्ट- अतुल सेठ, आर्किटेक्टअतुल सेठ, आर्किटेक्ट पीडब्ल्यूडी के ब्रिज में डामर की सिंगल लेयर, जल्दी उखड़ जाती है पीडब्ल्यूडी के ब्रिज में सीमेंट कांक्रीट के ऊपर डामर की सिंगल लेयर चढ़ाई जाती है। इसमें डामर का प्रतिशत 4 से 5 फीसदी रहता है। बारिश होते ही यह उखड़ने लगती है, जिससे गड्ढे होते हैं। दूसरी लेयर नहीं होने से हैवी व्हीकल के गुजरने से कंपन भी होता है। इस कारण भी गड्ढे होने लगते हैं।
हमारे पास कोई ब्रिज ट्रांसफर नहीं हुआ है
^निगम में पीडब्ल्यूडी के एक भी ब्रिज के ट्रांसफर होने का रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने कभी कोई पत्र भेजा हो तो, सिर्फ एक पत्र भेज देने से ब्रिज ट्रांसफर नहीं हो जाते। – सुमित अस्थाना, इंजीनियर, नगर निगम 8 साल पहले ही ट्रांसफर कर दिए ^राजेंद्र नगर ब्रिज 7 साल और तीन इमली ब्रिज 8 साल पहले नगर निगम को ट्रांसफर कर चुके। 3 साल रखरखाव भी किया। – दीपेश गुप्ता, ब्रिज सेल प्रभारी, पीडब्ल्यूडी