शहर से सटे भीलखेड़ा में नर्मदा नदी की डूब से अप्रभावित कृषि भूमि में आने-जाने के लिए किसानों को रास्ता नहीं मिल पा रहा है। किसान पिछले कई सालों से इस समस्या से परेशान है। कृषि भूमि तक आने-जाने का रास्ता बनाने की मांग वे एनवीडीए से कई बार कर चुके हैं। हालांकि, उन्हें अभी तक केवल आश्वासन के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। इस समस्या को लेकर मंगलवार को बड़ी संख्या में किसान कलेक्ट्रेट पहुंचे और जनसुनवाई में आवेदन देकर कृषि भूमि तक आने-जाने का रास्ता बनवाने की गुहार लगाई। ग्रामीणों और किसानों ने ज्ञापन सौंपकर बताया कि उनकी कृषि भूमि सरदार सरोवर परियोजना की डूब से बाहर है। हालांकि, कृषि भूमि में आने-जाने का रास्ता नर्मदा के बैक वाटर के कारण बंद हो गया है। यहां वैकल्पिक मार्ग बनवाने की मांग को लेकर उनके द्वारा एनवीडीए के अधिकारियों से कई बार मांग की गई है। हालांकि, आज (26 अगस्त) को ऑप्शनल मार्ग नहीं बन सका है। किसानों ने बताया कि साल 2017 से रास्ता बंद होने के कारण वे परेशान हो रहे हैं। 15 से 20 किमी का लगाना पड़ रहा चक्कर किसानों ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि उनकी कृषि भूमि में जाने का रास्ता बैक वाटर से बंद होने के कारण वर्तमान में उन्हें 15 से 20 किमी का चक्कर लगाकर खेतों में आना-जाना पड़ रहा है। इससे उनका समय भी खराब हो रहा है। वहीं कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि नर्मदा नदी के बैक वाटर के कारण उनकी कृषि भूमि टापू बन गई है। रास्तों में पानी भर जाने के कारण वे खेतों में बोई गई फसलों की देखरेख के लिए सीधे नहीं आ पा रहे हैं। ज्ञापन के माध्यम से किसानों ने उनकी कृषि भूमि तक आने-जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग के निर्माण की मांग की है।