बैतूल के बालाजीपुरम मंदिर में बीती रात कृष्ण जन्माष्टमी अनूठे तरीके से मनाई गई। यहां लाइट साउंड के साथ कृष्ण जन्म की पूरी झांकी और द्वापर युग की घटनाओं का सजीव चित्रण और मंचन किया गया। यमुना के पानी से कृष्ण को पार कराना, उन्हें झूला झुलाने जैसी झांकियों की प्रस्तुति दी गई। इस पूरे आयोजन के दौरान मंदिर में द्वापर युग का वही दृश्य दिखाए जब कंस के कारावास में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। यहां द्वापर युग का सेट बनाया गया। इस सेट पर भगवान के जन्म के बाद वासुदेव द्वारा उन्हें उफनती यमुना पार कर ब्रजधाम ले जाने का सजीव चित्रण किया गया। बैतूल के इस बालाजीपुरम मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हर साल मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। यहां हर साल मंदिर को द्वापर युग के सेट का रूप दिया जाता है। जहां कंस के कारावास में भगवान श्री कृष्ण के जन्म की घटना लाइट और साउंड के साथ दिखाई जाती है। इस भव्य आयोजन में कलाकारों को वासुदेव, देवकी और कंस बनाया जाता है। फिर शुरुआती दृश्य में दिखाया जाता है कि वासुदेव और देवकी कंस के कारागार में बंद हैं। इसके साथ ही क्रूर राजा कंस को भी दिखाया जाता है। फिर भगवान श्री कृष्ण का कारागार में जन्म होता है। बालक कृष्ण के जन्म के बाद पिता वासुदेव टोकरी में शिशु को रखकर उफनती यमुना नदी पार कर ब्रज धाम पहुंचते हैं। मंदिर के अंदर बने ब्रज धाम में जैसे ही भगवान श्री कृष्ण पहुंचते हैं, तो चारों तरफ आतिशबाजी और ढोल नगाड़ों की गूंज से वातावरण कृष्णमय हो जाता है। बालाजीपुरम मंदिर को द्वापर युग की सूरत देने के लिए कई हफ्तों तक तैयारी की जाती है। इस दौरान सेट तैयार किया जाता है जिसमें लाइट और साउंड की व्यवस्था की जाती है। इसके साथ ही कृष्ण लीला के लिए कलाकारों को तैयार किया जाता है। इस साल भैंसदेही के बराहापुर के नवयुवक रामलीला मंडल के द्वारा प्रस्तुति दी जा रही है। कृष्ण जन्माष्टमी के इस आयोजन को देखने अलग-अलग राज्यों और स्थानीय श्रद्धालु पहुंचे। देखें तस्वीरें…