जिले में सड़कों की दुर्दशा के चलते आए दिन चिंताजनक तस्वीरें सामने आ रही हैं। ताजा मामला कुंभराज क्षेत्र का है, जहां की खराब सड़कों की वजह से बारिश में मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार करना चुनौती बन गया है। कुंभराज के सानई और डोंगरखेड़ी गांव से हाल ही में दो अमानवीय दृश्य सामने आए, जिन्होंने सड़कों को लेकर शासन और प्रशासन द्वारा किए जा रहे दावों की पोल खोलकर रख दी है। बता दें कि कुंभराज और आसपास का क्षेत्र राजस्थान के गांवों से लगा हुआ है। पूरी तरह ग्रामीण आबादी आधारित इलाका होने की वजह से यहां विकास का पहिया भी बेहद मंद गति से घूम रहा है, जिसकी खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। हाल ही में सानई गांव में एक महिला का अंतिम संस्कार करने के लिए जा रहे लोगों को क्षेत्र की जर्जर सड़कों की वजह से भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि सानई निवासी बूंदीबाई का निधन बीते दिन हो गया था। अंतिम संस्कार करने के लिए उनके बेटे सुरेंद्र सिंह, रमेश बाबू, खुमान सिंह सहित कई रिश्तेदार श्मशान की ओर जा रहे थे। लेकिन रास्ते में कीचड़ इतना ज्यादा था कि रिश्तेदारों के पैर कई फिट तक धंस गए और कुछ लोग गिरकर चोटिल भी हो गए। इसी बीच एक लोडिंग वाहन इसी जर्जर और कीचड़ भरे मार्ग में फंस गया। जिसके बाद अर्थी लेकर खड़े लोगों को एक घंटे तक इंतजार भी करना पड़ा। इसी क्षेत्र के डोंगरखेड़ी गांव में भी कुछ इसी तरह के हालात देखने को मिले। जब 25 अगस्त को गुड्डीबाई पत्नि कालूराम का निधन हो गया। इसके बाद जब ग्रामीण उनका अंतिम संस्कार करने के लिए पहुंचे तो श्मशान भूमि पर इंतजाम नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सबसे पहले ग्रामीण महिला के शव को खेतों के रास्ते मुक्तिधाम तक जैसे-तैसे लेकर पहुंचे। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान भूमि पर उग चुके घने पेड़-पौधों को हटाने की मशक्कत करना पड़ी। कुल मिलाकर कुंभराज और आसपास के इलाकों में सड़कों की दुर्दशा के चलते लोग अमानवीय प्रताडऩा झेल रहे हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को आमजन की परेशानी से किसी तरह का सरोकार नजर नहीं आ रहा है।