36 साल पहले मर्डर किया, फिर आया राजनीति में:छतरपुर में शहजाद का जमीनों पर अवैध कब्जा; PWD की बिल्डिंग को किराये पर दिया

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छतरपुर के हाजी शहजाद अली ने 36 साल पहले एक कारोबारी की हत्या करवाकर जुर्म की दुनिया में कदम रखा था। इस अपराध के लिए वह 2 साल 2 महीने जेल में भी रहा। इसके बाद कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। जेल से छूटने के बाद वह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने लगा। उसके कुछ दिनों बाद राजनीति में आ गया। छतरपुर में सिटी कोतवाली पर 21 अगस्त को हमले के मामले में पुलिस ने शहजाद अली, उसके भाई फैयाज और आजाद के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। फैयाज के साथ आजाद के दो बेटे शाहिद और इनायत को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। शहजाद और आजाद फरार हैं। दैनिक भास्कर ने जब शहजाद अली के बैकग्राउंड की पड़ताल की तो पता चला कि उस पर 7 जबकि उसके भाई फैयाज पर 4 मामले दर्ज हैं। ये भी पता चला कि बड़ा कारोबारी बनने से पहले वह ठेले पर कपड़े बेचा करता था। पढ़िए, शहजाद अली ने किस तरह जुर्म की दुनिया में कदम रखा और फिर कैसे राजनीति में आया… शहजाद ने 1988 में मामूली विवाद पर करवाया पहला मर्डर थाने पर हमले के मुख्य आरोपी शहजाद और फैयाज दोनों की ही आपराधिक पृष्ठभूमि रही है। दोनों के खिलाफ शहर में कोई खुलकर बात नहीं करता। कुछ लोगों से बातचीत में पता लगा कि शहजाद ने 1988 में पहला मर्डर करवाया था। मोटरसाइकिल पर आए दो युवकों ने बुल्ले जैन साइकिल स्टोर्स के मालिक राजेंद्र जैन की गोली मारकर हत्या कर दी थी। दैनिक भास्कर की टीम बुल्ले जैन साइकिल स्टोर्स पर पहुंची तो वहां राजेंद्र जैन के बेटे मिले। उन्होंने अपना नाम बताने से इनकार कर दिया। घटना के बारे में पूछने पर बोले, ‘ये तो बहुत पुरानी घटना है। तब मेरी उम्र 2 साल थी।’ उन्होंने कहा, ’29 अप्रैल 1988 की बात है, हमारी दुकान के सामने एक मुस्लिम युवक किसी दूसरे युवक से झगड़ा कर रहा था। इस झगड़े के दौरान मुस्लिम युवक ने हमारी दुकान से साइकिल सुधारने वाला सामान और टायर उठाकर सामने वाले पर हमला किया। मेरे पिता ने इस बात का विरोध किया और सामान वापस छीन लिया। वो मेरे पिता से भी झगड़ा और मारपीट करने लगा। पिताजी ने भी मुस्लिम युवक को अच्छे से पीट दिया। वो जाते-जाते कह गया कि तुझे देख लूंगा। दूसरे दिन 30 अप्रैल की सुबह का वक्त था। पिताजी दुकान के सामने बैठकर दातुन कर रहे थे। इतने में दो लोग आए। उन्होंने पिता के सिर में गोली मारी और फरार हो गए। पिताजी ने तत्काल ही दम तोड़ दिया था।’ दो युवकों में एक शहजाद था, गोली दूसरे युवक ने मारी राजेंद्र जैन के बेटे ने बताया, ‘मैंने घटना के बारे में केवल इतना ही सुना है। इससे ज्यादा कुछ नहीं जानता। मुझे उस मुस्लिम युवक के बारे में भी नहीं पता। केस कब तक चला और क्या सजा हुई? मुझे इसकी भी जानकारी नहीं है। मैं नहीं चाहता कि इस मामले का दोबारा जिक्र हो। मैं घर का अकेला कमाने वाला सदस्य हूं। जो होना था हो चुका, जिसे सजा मिलनी थी, मिल गई।’ थाने पर पथराव के बाद जब पुलिस ने पुराना रिकॉर्ड निकाला तो सामने आया कि हत्या के बाद पुलिस ने शहजाद और चुन्ना खान को गिरफ्तार किया था। 1988 से लेकर 1990 तक वह 2 साल 2 महीने जेल में रहा। कोर्ट में दो साल तक मामले का ट्रायल चला। साल 1990 में कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया तो शहजाद को बरी कर दिया और चुन्ना खान को सजा हो गई। ठेला लगाकर कपड़े बेचता था शहजाद, फिर प्रॉपर्टी का काम करने लगा नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक और शख्स ने बताया कि 1980 से पहले शहजाद बस स्टैंड पर कपड़े का ठेला लगाकर नए-पुराने कपड़े बेचता था। 1983 में छतरपुर में दंगा हुआ था, जिसमें शहजाद का नाम आया था। इसके बाद 1988 में उसने राजेंद्र जैन की हत्या करा की। इस मामले में सजा काटने के बाद जब वह जेल से छूटा तो तेंदूपत्ता का ठेका लेना शुरू किया। धीरे-धीरे प्रॉपर्टी के धंधे में उतर गया। एमपी के अलावा यूपी, छत्तीसगढ़ में उसने अपना कारोबार बढ़ाया। फिर अपने भाइयों को भी धंधे में शामिल किया। सभी लोग मिलकर रेत खनन, मछली पालन, अवैध शराब, पुराने टायर, ब्याज पर पैसे देने जैसे कई काम करने लगे। इस शख्स ने बताया कि सरकारी और प्राइवेट जमीनों पर कब्जा जमाना इन लोगों का मुख्य पेशा है। ये सब करते हुए शहजाद ने राजनीति में कदम रखा। कांग्रेस पार्टी में सक्रिय रहा। उसे जिला उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद उसने अपने बड़े भाई को नगर पालिका का पार्षद बनवाया। छोटे भाई फैयाज को प्रॉपर्टी का बिजनेस सौंपा। पिछले 15 साल से जमीन से जुड़े मामले फैयाज ही डील कर रहा है। वो सरकारी और प्राइवेट जमीनों पर कब्जा करता है। इस शख्स ने बताया कि जिला जेल के बगल में एक जमीन पर इनका कब्जा था। हाल ही में प्रशासन ने उसे खाली करवाया है। महोबा रोड का टायर कारखाना बंद, प्रशासन की टीम जांच कर रही पीड़ितों ने जिन जगहों के बारे में बताया था, उनमें से एक महोबा रोड पर पुराने टायर कारखाने पर भास्कर की टीम पहुंची। स्थानीय लोगों ने बताया कि कारखाना शहजाद के छोटे भाई इम्तियाज का है। यहां पहले से ही एसडीएम अखिल राठौर बाकी अधिकारियों के साथ मुआयना कर रहे थे। कारखाने के मुख्य दरवाजे पर तीन बड़े ताले पड़े हुए थे। कारखाने के भीतर और बाहर पुराने टायरों का ढेर नजर आता है। एसडीएम अखिल राठौर ने कैमरे पर बात करने से मना कर दिया। बोले- ये जमीन अवैध कब्जे वाली बताई जा रही है, इसलिए जांच करने आए हैं। इस कारखाने के बगल में कुछ मकान बने हैं। यहां रहने वाले लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि साल 1970 में सरकार ने कारखाना समेत आसपास की जमीन हमें दी थी। जिस जमीन पर कारखाना बना है, वो कुंजा कुमार की है। पिछले 5 साल से जमीन पर कारखाना चल रहा है। कुंजा कुमार जमीन छोड़कर गांव में जाकर रहने लगा। अब उसकी मौत हो चुकी है। कुंजा कुमार ने इम्तियाज को जमीन बेची थी या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। पीडब्ल्यूडी की बिल्डिंग पर कब्जा, यहां रहता है मुस्लिम परिवार छतरपुर में पुरानी तहसील रोड पर पीडब्ल्यूडी की बिल्डिंग है। इस जमीन पर पिछले 8 साल से फैयाज अली का कब्जा है। फैयाज ने ये बिल्डिंग तीन अलग-अलग लोगों को किराए पर दे रखी थी। साल 2021 से पहले तक यहां जूते चप्पल का गोडाउन और प्रिटिंग प्रेस चल रही थी। साल 2021 में प्रशासन ने कब्जा हटाने को लेकर एक नोटिस चस्पा किया था। फैयाज अली के नाम से जारी नोटिस में सरकारी भवन से कब्जा हटाने के लिए कहा गया था। नोटिस लगने के बाद प्रिटिंग प्रेस खाली हो गई, लेकिन जूते चप्पल का गोडाउन अभी भी मौजूद है। इसके अलावा गुड्डू खान नाम का व्यक्ति अभी भी 3500 रुपए महीने के किराए पर परिवार के साथ रह रहा है। पीड़ित बोला- फैयाज ने हमारे प्लॉट पर कब्जा किया फैयाज अली प्राइवेट जमीनों पर भी कब्जा करता है। शरद असाटी ऐसे ही पीड़ितों में से एक हैं। शरद ने कहा- 2008 में मेरे पिता दीनदयाल असाटी ने एक प्लॉट खरीदा था। प्लॉट पर बाउंड्री वॉल बनाकर गेट लगवाया था। कुछ दिनों बाद फैयाज अली के गुंडों ने इस पर कब्जा जमा लिया। साल 2009 से हम इस प्लॉट की लड़ाई लड़ रहे हैं। पुलिस में कई बार शिकायत की, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। तहसीलदार और एसडीएम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला दिया, मगर प्लॉट पर अभी तक कब्जा नहीं मिला है। हमारे पास जमीन की रजिस्ट्री भी है। पुलिस बोली- सारे मामलों की जांच की जा रही है छतरपुर पथराव मामले में पुलिस ने 150 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। एसपी अगम जैन के मुताबिक, 30 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिनके पास हथियार थे, ऐसे 16 लोगों के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं। अगले कदम के रूप में रासुका के तहत भी कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने कहा कि वीडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। उनके खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं। जो निर्दोष हैं, उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी। वे निश्चिंत रहें। जो लोग दोषी हैं, उनका आपराधिक रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है।