देशभर में 13 राज्यों के 20 स्थानों पर गोकुल मिशन में सागर जिले के रतौना का चयन 6 साल पहले किया गया था। देशी नस्ल की गायों के संरक्षण, संवर्धन और उन्नयन के उद्देश्य से भारत सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत इस जगह का चयन किया था। इसकी बड़ी वजह यहां उपलब्ध 700 एकड़ जमीन थी। जिसमें से 200 एकड़ जमीन डेयरी विस्थापन स्थल के लिए दी जा चुकी है। अभी भी 500 एकड़ जमीन मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कट विकास निगम के नाम पर है। 2018 में पशुपालन विभाग ने रतौना में शासकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, गोकुल ग्राम व डेयरी विकास के लिए 500 एकड़ भूमि हस्तांतरित करने के आदेश जारी किए थे। जब यह जमीन सौंपी गई थी, तब दावा किया गया था कि शहर की सभी डेयरियां यहां से शिफ्ट हो जाएंगी, आवारा पशुओं का विचरण भी खत्म होगा। यहां से कुछ एकड़ जमीन डेयरी विस्थापन के लिए दी भी गई परंतु अभी भी शहर में डेयरियां संचालित हैं और आवारा पशुओं का विचरण जारी है सागर सहित जिले भर के पशुओं को सड़क से हटाकर छोटी-छोटी गौशालाओं में भेजा जा रहा है, जो क्षमता से ज्यादा भर चुकी हैं, ऐसे में बेहतर है कि यहीं पर 100 एकड़ जमीन पर गौ-अभयारण्य बना दिया जाए तो करीब 10 हजार पशुओं को आश्रय मिलेगा। 50 एकड़ में आदर्श गौशाला का प्रस्ताव बना दयोदय गौशाला के अध्यक्ष वीरेंद्र जैन मालथौन ने बताया कि रतौना में आदर्श गौशाला के लिए तत्कालीन कलेक्टर दीपक सिंह ने मुझसे संपर्क कर कहा था कि 50 एकड़ जमीन ले लें और शासन की मदद से आदर्श गौशाला बनाएं। इसका प्रस्ताव भी जिला प्रशासन ने बनाया था, हालांकि कलेक्टर बदलने के बाद यह मामला आगे नहीं बढ़ सका। वर्तमान परिस्थितियों में बेहतर यही रहेगा कि यहां पर आदर्श गौशाला के साथ ही 100 एकड़ में गौ-अभयारण्य की स्थापना हो तो सागर जिले के 10 हजार गौवंश का संरक्षण हो सकता है। इसमें हर तरह के सहयोग के लिए भी तैयार हैं। विधायक शैलेंद्र जैन का कहना है कि रतौना में गौ अभयारण्य के लिए पर्याप्त संभावनाएं हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा कर जमीन आवंटित कराने का प्रयास करूंगा। अभी 500 पशुओं का ही हो रहा संरक्षण, 200 एकड़ जमीन बनी है चारागाह रतौना में थारपारकर नस्ल का संरक्षण व संवर्धन चल रहा है। यहां विभिन्न नस्ल के अभी 500 पशु ही हैं। इनके लिए करीब 200 एकड़ जमीन में चारागाह है। केंद्र सरकार से बजट नहीं मिलने के चलते गोकुल ग्राम का काम वैसा नहीं बढ़ सका, जैसा दावा इसकी स्थापना के समय किया गया था। रेलवे लाइन क्रॉसिंग के दूसरी तरफ की बची हुई 200 एकड़ की जमीन को ही चारागाह बनाया गया है। इसी में से यदि 100 एकड़ में गौ-अभयारण्य के रूप में विकसित किया जाए तो यहां 10 हजार गौवंश का संरक्षण हो सकता है।