ग्वालियर के गोपाल मंदिर में श्रीराधा-कृष्ण को 100 करोड़ से ज्यादा की एंटीक ज्वेलरी पहनाई जाएगी। इन आभूषणों में बेशकीमती रत्न हीरा, पन्ना, माणिक, मोती, पुखराज और नीलम जड़े हैं। ज्वेलरी 150 साल से ज्यादा पुराने सिंधिया रियासतकाल की है। हर साल एंटीक जेवर को कड़ी सुरक्षा के बीच बैंक लॉकर से निकाला जाता है। इनमें सात लड़ियों का हार, कंगन, बाजूबंद, मोतियाें की माला, स्वर्ण मुकुट शामिल हैं। इनकी सुरक्षा के लिए 200 जवान तैनात रहेंगे। 50 से ज्यादा CCTV से भी निगरानी रखी जाएगी। आपको जन्माष्टमी पर मंदिर का इतिहास और भगवान को पहनाए जाने वाले जेवर की खासियत के बारे में बताते हैं। पढ़िए रिपोर्ट… पहले बेशकीमती जेवर और उनकी खासियत जानिए… 103 साल पहले सिंधिया परिवार ने की थी स्थापना गोपाल मंदिर की स्थापना साल 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे। इनमें राधा-कृष्ण के 55 पन्ना जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी जिस पर हीरे और माणिक लगे हैं। सोने की नथ, जंजीर और पूजा के लिए चांदी के बर्तन हैं। साल 2007 से लगातार हो रहा शृंगार आजादी से पहले तक भगवान इन जेवराें धारण किए रहते थे, लेकिन बाद में गहने लॉकर में रखवा दिए गए। साल 2007 में इसकी देखरेख का जिम्मा नगर निगम को सौंपा गया। तब से हर साल जन्माष्टमी पर इन्हें लॉकर से निकाला जाने लगा। हर साल भगवान को यही गहने पहनाए जाते हैं। अब बात सुरक्षा की… नगर निगम के जिम्मे गहनों का रखरखाव श्रीराधा-कृष्ण को पहनाए जाने वाले बेशकीमती, एंटीक गहनों का रखरखाव और उन्हें बैंक से निकालने का काम नगर निगम के जिम्मे है। मंदिर में विराजमान श्रीराधा-कृष्ण के विशेष श्रृंगार के लिए गहनों को सेंट्रल बैंक के लॉकर में रखा जाता है। हर साल समिति बनाई जाती है, जो त्योहार के दिन सुबह गहनों को लॉकर से निकालकर श्रीराधा-कृष्ण मंदिर तक पहुंचाती है। यहां गहनों की सफाई कर भगवान का शृंगार किया जाता है। अगले दिन सुबह गहने उतार कर बॉक्स में रखते हैं। इसके बाद वापस लॉकर में रखवा दिए जाते हैं। बता दें, कि प्रशासन ने सभी जेवरों की अनुमानित कीमत 100 करोड़ आंकी है। किसी भी एक जेवर की कीमत की सूची नहीं बनाई है, इसलिए खास जेवर की कीमत का खुलासा भी नहीं किया गया है। 200 जवानों का ट्रिपल लेयर सुरक्षा घेरा लॉकर से गहने निकालने और रखने के दौरान 50 पुलिस जवान और अफसर ट्रिपल लेयर सिक्योरिटी में जाते हैं। आज त्योहार के दिन यहां सुरक्षा के लिए 200 से ज्यादा जवान तैनात किए जाएंगे। मंदिर की चारों तरफ से किलेबंदी की जाएगी। हर दरवाजे पर मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं। इस बार भी 50 से ज्यादा CCTV से नजर रखी जाएगी। हर साल दो से ढाई लाख भक्त पहुंचते हैं गोपाल मंदिर के पुजारी पंडित प्रदीप सरवटे ने बताया, कि मंदिर में जन्माष्टमी पर दो से ढाई लाख भक्त दर्शन के लिए करते हैं। महापौर, सभापति, नगर निगम कम्श्नर की विशेष निगरानी में बेशकीमती एंटीक गहनों को लॉकर से निकाल कर श्रीराधा-कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है। श्रीराधा-कृष्ण के मुकुट में लगा पन्ना अमूल्य है। भगवान के इस स्वरूप को देखने के लिए भक्त साल भर इंतजार करते हैं। यही वजह है कि दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। इनमें विदेशी भक्त भी शामिल होते हैं।