उज्जैन से 38 किमी दूर महिदपुर तहसील के गांव चिमरिया में स्थित है स्वर्ण गिरि पर्वत। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भास्कर के पाठकों के लिए ड्रोन फोटो से समझिए इस पर्वत की वे बातें जो इसे खास बना देती है। स्वर्ण गिरि पर्वत तीर्थ क्षेत्र समिति की पीठाधीश्वर महेंद्र गिरिजी महाराज के अनुसार महर्षि सांदीपनि की पत्नी गुरुमाता शुश्रुषा के आदेश पर श्रीकृष्ण और सुदामा यहां लकड़ियां लेने आए थे। दोनों सुखी लकड़ियों की खोज में स्वर्ण गिरि पर्वत पहुंच थे, जो नारायणाधाम से तीन किमी है। दोनों ने झाड़ियों से लकड़ियां चुनकर गट्ठर (मौलियां) बनाए। यहां आज भी बड़े-बड़े पत्थर विद्यमान हैं। पर्वत के मुखारविंद पर तीर्थ बनाया गया है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 26 अगस्त को 101 लीटर दूध से अभिषेक किया जाएगा। श्रद्धालुओं को खीर प्रसादी बांटी जाएगी। जन्म आरती मध्य रात्रि में की जाएगी। महेंद्र गिरि महाराज ने बताया कि जिस प्रकार गिरिराजजी की परिक्रमा का महत्व माना गया है, उसी तरह उज्जैन के गिरिराजजी स्वर्ण गिरि पर्वत को कहा जाता है। यहां भी बड़ी संख्या में भक्त परिक्रमा करने आते हैं। यह बातें तो पर्वत को बना रही तीर्थ पत्थरों से आती है आवाज : चट्टानों के बीच कुछ पत्थर ऐसे भी हैं, जिन्हें बजाने से घंटे जैसी ध्वनि सुनाई देती है। कदम के पेड़ : हरियाली की चादर ओढ़े पर्वत पर बड़ी संख्या में कदम के पेड़ हैं, जबकि जिले भर यह दुर्लभ हैं। श्रीकृष्ण के चरण : पीठाधीश्वर महेंद्र गिरि के अनुसार पर्वत पर श्रीकृष्ण और सुदामा के चरण विद्यमान हैं। मां पार्वती के चरण : पर्वत पर मां पार्वती के चरण हैं। रहवासियों का कहना है कि यह प्राकृतिक रूप से उभरे हैं। महादेव का मंदिर : पर्वत के सामने एक प्राचीन महादेव मंदिर है, जो स्वयं भू माना जाता है। दो कुंड जिनमें सदा रहता है पानी : स्वर्ण गिरि पर्वत के सामने दो कुंड हैं, जिनका पानी कभी नहीं सूखता है।