सनातनी धर्म ग्रंथों में यह बात सर्वमान्य है कि जगत की रक्षा के लिए परमात्मा ने स्वयं अपनी इच्छा से समय-समय पर धर्म की रक्षा हेतु अवतार लिए। श्रीमद् भागवत के स्कंधों में कुंती द्वारा उनकी की गई स्त्तुति और दशम स्कंध की गर्भ स्तुति में परमात्मा के अवतार के अनेक कारण बताए गए हैं। श्रीमद् भागवत में अनेक स्थानों पर अवतारों की स्तुति है, जिसमें भगवान की महिमा, उनके चरित और मनमोहन लीलाओं का वर्णन किया गया है। एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने नित्य प्रवचन में शनिवार शाम यह बात कही। जब पृथ्वी पर अनाचार बढ़ते हैं तब होता है अवतार महाराजश्री ने कहा कि जब पृथ्वी पर अनाचार, अत्याचार, बढ़ते हैं, तब सदाचारी भक्तों के पुकारने पर परम दयालु सर्वशक्तिमान परमात्मा अवतार लेते हैं। भगवान ऐसी लीला करते हैं कि जिसे सुनकर और गा गाकर संसार चक्र में फंसे प्रपंचों से जीव मुक्ति का मार्ग खोज सके और सहज ही संसार सागर पार करते हुए परमात्मा में लीन हो जाए। परमात्मा के अवतार के अनेक भेद डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया कि परमात्मा के अवतार के अनेक भेद शास्त्रों में बताए गए हैं। जैसे अंशावतार, पूर्ण अवतार, आवेश अवतार, स्फूर्ति अवतार आदि। इसी में श्रीकृष्ण भगवान पूर्ण अवतार हैं। उनके चरित्र श्रवण करने से किस तरह अंत:करण शुद्ध होता है, ज्ञान, वैराग्य और भक्ति किस प्रकार प्राप्त होती है, इसका उल्लेख अधिकांशत: श्रीमद् भागवत के सभी स्कंधों में है।