कांग्रेस संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू:जिलाध्यक्ष पद के लिए नेताओं ने दावेदारी जताई, नए चेहरों को मिलेगी जगह

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद प्रदेश एवं जिला स्तर पर संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जिसको लेकर जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल स्थानीय नेताओं ने भोपाल जाकर प्रदेश संगठन को अपनी दावेदारी जताई गई है। प्रदेश संगठन अब नए चेहरों को पार्टी के प्रति समर्पण एवं जमीनी स्तर की लड़ाई के आधार पर मौका प्रदान कर सकती है। मिली जानकारी के अनुसार जिले में वर्तमान जिलाध्यक्ष सहित छह लोगों ने जिलाध्यक्ष बनने के लिए अपनी दावेदारी जताई जा रही है। जिसको लेकर प्रदेश संगठन के द्वारा जातिगत समीकरण को साधने और दावेदारी करने वाले नेताओं के बीते सालों में किए कामों को भी आधार बनाया जा रहा है। फिलहाल जाट समाज से ओम पटेल एवं राजेश पटेल, राजपूत समाज से अनिल सूरमा, ब्राह्मण समाज से गोविंद व्यास, विश्नोई समाज से मोहन विश्नोई, गुर्जर समाज से हेमंत टाले एवं दुर्गादास पाटिल का नाम सामने आया है। लेकिन आखिरी फैसला प्रदेश संगठन के हाथों में है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में खराब या उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने वाले राज्यों में कारणों पर विचार करने के लिए समितियों का भी गठन किया है। इन समितियों की रिपोर्ट के आधार पर संगठन में बदलाव हो सकते हैं। कांग्रेस सेवादल से जुड़े ओर सालों से सक्रिय राजनीति में रहे ब्राह्मण समाज के गोविंद व्यास का नाम भी जिलाध्यक्ष को दौड़ में शामिल है। भले ही उनके कुछ साथियों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। लेकिन उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा बरकरार है। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एवं राजीव गांधी पंचायती राज संगठन से जुड़े हेमंत टाले भी पार्टी में निर्विवाद चेहरे के रूप में जिलाध्यक्ष पद के दावेदार हैं। लेकिन क्षेत्रीय विधायक गुर्जर समाज से होने के चलते किसी अन्य जाति को पार्टी मौका दे सकती है। वहीं राजपूत समाज ने जिले की दोनों विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की जीत में महती भूमिका निभाई है। जिसके चलते सालों से कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में जुड़े हुए अनिल सूरमा की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है। उन्हें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह एवं अजय सिंह का खास माना जाता है। दूसरी और जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों में किसान कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष मोहन विश्नोई जो कि करीब 20 सालों से कांग्रेस को जमीनी स्तर पर जिंदा रखे हुए हैं। किसानों और मजदूरों की लड़ाई के लिए हमेशा तैयार रहने के चलते उनकी दावेदार को मजबूत माना जा रहा है। वहीं जाट समाज एवं स्थानीय विधायक के करीबी होने के साथ युवा चेहरा होने के कारण राजेश पटेल गोयत की दावे दारी को कम नही आंका जा सकता।वहीं खिरकिया क्षेत्र से नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष यशोदा पाटिल के पति दुर्गादास पाटिल का नाम भी सामने आया है। उधर वर्तमान जिलाध्यक्ष ओम पटेल भी दोनों विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस की जीत को लेकर फिर से दावेदार माने जा रहे हैं। लेकिन विधायक और उनके बीच आपसी खींचतान होने की चर्चाओं का बाजार गर्म है।बहरहाल संगठन में बदलाव की अंतिम निर्णय पीसीसी को करना है।