मध्यप्रदेश की साइबर पुलिस ने 14 जुलाई को एक हाईप्रोफाइल साइबर ठग को पकड़ा था। उसका नाम संदीप चतुर्वेदी है। संदीप के साथ उसकी पत्नी पार्वती पर भी धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं, लेकिन वह पुलिस गिरफ्त में नहीं आई है। दोनों पर आरोप है कि डिजिटल करेंसी में इन्वेस्टमेंट के नाम पर इन्होंने सैकड़ों लोगों को ठगा है। पुलिस ने संदीप से दो दिन तक पूछताछ की और उसके बाद उसे छोड़ दिया। अधिकारियों का कहना है कि उसके खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत तो है, मगर सीधे तौर पर अपराध में शामिल होना नहीं पाया गया। पुलिस की इस कार्रवाई पर ठगे गए लोग सवाल उठा रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि उनसे दंपती ने इन्वेस्टमेंट के नाम पर लाखों रु. वसूले, जिसके सबूत उनके पास है, फिर कैसे अपराध में शामिल होना नहीं पाया गया। दैनिक भास्कर ने जब इस दंपती का बैकग्राउंड खंगाला तो पता चला कि मप्र के अलावा ओडिशा, हरियाणा और दिल्ली में भी ये कई लोगों को शिकार बना चुका है और अब तक 5 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है। ये भी पता चला कि दोनों का एक दत्तक पुत्र है जो 16 साल का है और वारदातों में शामिल रहा है। संदीप चतुर्वेदी मूलत रीवा के हरदी गांव का रहने वाला है। भास्कर ने उन पीड़ितों से भी बात कर समझा कि आखिर पति-पत्नी लोगों को कैसे टारगेट करते थे। पढ़िए रिपोर्ट 4 केस से समझिए दंपती कैसे करते थे ठगी केस 1: कोलार के बिजनेसमैन के साथ 32 लाख की धोखाधड़ी 9 जुलाई को यशोदा परिसर कोलार रोड निवासी अजय शर्मा ने भोपाल साइबर सेल में धोखाधड़ी की शिकायत की। उन्होंने बताया कि संदीप और पार्वती चतुर्वेदी से मेरी मुलाकात कॉस्मेटिक दुकान पर हुई थी। ये उन्हीं की दुकान थी। उन्होंने कहा कि हम कॉस्मेटिक दुकान के साथ-साथ डिजिटल करेंसी में इन्वेस्टमेंट का भी काम करते हैं। अगर आप डिजिटल करेंसी में इन्वेस्टमेंट करते हैं तो 10 से 15 फीसदी रिटर्न सालाना आपको मिलेगा। दंपति के बहकावे में आकर सबसे पहले मैंने 8000 रू. इन्वेस्ट किए। उसका रिटर्न रोजाना मेरे वॉलेट में शो हो रहा था। उसके बाद दोनों ने कहा कि जितना ज्यादा इन्वेस्ट करेंगे उतना रिटर्न मिलेगा। मैंने फरवरी से लेकर मार्च तक 32 लाख रु. इन्वेस्ट कर दिए। 3 जुलाई को अचानक मेरे वॉलेट में रिटर्न दिखना बंद हो गया। मैंने संदीप चतुर्वेदी से संपर्क किया तो उसका मोबाइल बंद था। केस 2: गहने खरीदने के लिए रखा पैसा इन्वेस्ट किया भोपाल की बावड़िया कलां में रहने वाली अरुणा श्रीवास्तव की संदीप और पार्वती से मुलाकात एक सहेली के जरिए हुई थी। अरुणा बताती है कि 1 लाख 60 हजार रु. मैंने ज्वेलरी खरीदने के लिए रखे थे वह संदीप और पार्वती के कहने इन्वेस्ट किए। उन्होंने बताया था कि इन्वेस्टमेंट पर हर महीने 12 फीसदी का कमीशन मिलेगा। उनके कहने पर मैंने ऑस्कर नाम का एक ऐप भी डाउनलोड किया। अरुणा ने बताया कि दोनों ने घर पहुंचकर पूरे परिवार का ब्रेनवॉश किया। मेरे पति को शक हुआ तो उन्होंने पूछा कि इतना रिटर्न कौन देता है। उन्होंने मुझे समझाया था, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी। केस 3: शिवपुरी के सर्विस सेंटर चलाने वाले से 10 लाख की ठगी संदीप और पार्वती ने शिवपुरी के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के रहने वाले रामनारायण कुशवाहा से भी इसी तरह से 10 लाख रु. का फ्रॉड किया। कुशवाहा ने बताया कि पैसों की वजह से मेरी बेटी की शादी टूटने की कगार पर थी। मेरे घर पर एक दिन मुंहबोली बहन काजल आई। वह भोपाल में रहती है। उसके साथ संदीप और पार्वती भी शिवपुरी आए थे। दोनों ने मुझे बताया कि वे इन्वेस्टमेंट का काम करते हैं और वे कुछ पैसा इन्वेस्ट करेंगे तो फायदा होगा। उन्होंने मुझे मैटिक करेंसी के बारे में बताया। इसके बाद ट्रस्ट वॉलेट डाउनलोड करवाया। पहले मैंने 10 हजार रु. इन्वेस्ट किए। वॉलेट में मुझे 12 फीसदी के हिसाब से 40 रु. रोज वॉलेट में दिखाई देने लगे। संदीप ने कहा ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करेंगे तो ज्यादा कमीशन मिलेगा। केस 4: ओडिशा के प्रबीर से 25 लाख का फ्रॉड संदीप चतुर्वेदी ने न केवल मप्र बल्कि दूसरे राज्य जैसे ओडिशा, दिल्ली और हरियाणा में कई लोगों से फ्रॉड किया है। ओडिशा के रहने वाले व्यवसायी प्रबीर कुमार बिस्वाल कहते हैं कि इन्वेस्टमेंट के नाम पर मुझसे 45 लाख रु. ठग लिए। बिस्वाल के मुताबिक उनकी संदीप से मुलाकात दिल्ली में किसी परिचित के यहां हुई थी। उसके बाद संदीप मुझसे मिलने ओडिशा आया। उसके साथ पार्वती भी थी। दोनों ने पहले मुझसे छोटा इन्वेस्टमेंट करवाया। मुझे प्रॉफिट नजर आया तो बड़े मुनाफे का लालच दिया। इस तरह मैंने 45 लाख रु. इन्वेस्ट कर दिए। पुलिस बोली- संदीप के खिलाफ कोई टेक्निकल सबूत नहीं मिला संदीप और पार्वती के खिलाफ पीड़ितों की शिकायत पर साइबर सेल ने नामजद धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। इस मामले की जांच कर रहे एसीपी सुजीत तिवारी का कहना है कि शिकायतों के आधार पर 14 जुलाई को संदीप चतुर्वेदी को रीवा से पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। पूछताछ में उसने बताया कि उसने पैसा लेकर ऑस्कर प्लेटफॉर्म पर इन्वेस्ट किया था। अब कंपनी की तरफ से कोई रिटर्न नहीं दिया गया। एसीपी का कहना है कि संदीप चतुर्वेदी के खिलाफ कोई ठोस टेक्निकल सबूत नहीं मिले इसलिए उसे छोड़ दिया। हमने ऑस्कर प्लेटफॉर्म की डिटेल निकाली तो उसमें कुछ नंबर दिल्ली और हरियाणा के आए हैं। एमपी के रहने वाले मगर आधार कार्ड में पता हरियाणा का संदीप और पार्वती जिस भी व्यक्ति से इन्वेस्टमेंट के नाम पर पैसा लेते उसे अपने आधार कार्ड की कॉपी देते थे। उसके आधार कार्ड में हरियाणा का पता लिखा हुआ है। पहली नजर में देखने पर ये आधार कार्ड फर्जी नजर आते हैं। आधार कार्ड पर कभी भी पासपोर्ट फोटो चस्पा नहीं होता जबकि दोनों के आधार कार्ड पर पासपोर्ट फोटो लगा है। इससे जाहिर है कि किसी और के आधार कार्ड को स्कैन कर उस पर फोटो चस्पा किया गया है। लग्जरी कपड़े और खाने के शौकीन पति- पत्नी संदीप और पार्वती लग्जरी लाइफ के शौकीन हैं। पीड़ितों के मुताबिक उनके पास एक एसयूवी है जिसका इस्तेमाल वे मीटिंग के लिए करते थे। ये मीटिंग किसी बड़े होटल या रेस्टोरेंट में होती थी। रेस्टोरेंट का बिल संदीप ही चुकाता था।, कई पीड़ितों ने बताया कि संदीप और पार्वती दोनों कहते थे कि वे भी यदि इन्वेस्ट करेंगे तो इसी तरह लग्जरी लाइफ मेंटेन कर सकते थे। कई पीड़ितों ने बताया कि उनकी इस लग्जरी लाइफ को देखकर ही झांसे में आ गए। रीवा के पैतृक गांव में 10 साल से नहीं आया संदीप दैनिक भास्कर से संदीप चतुर्वेदी के परिवार के सदस्य कमलेश चतुर्वेदी से बात की। कमलेश हरदी में टैक्सी चलाने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि संदीप चतुर्वेदी की स्कूल की पढ़ाई उनके गांव में ही हुई थी। उसके बाद रीवा से ग्रेजुएशन किया। संदीप के पिता राम जी के तीन बेटे हैं। संदीप पिछले 8-10 सालों से बाहर ही है। वह क्या करता है हमें नहीं पता। तीन साल पहले उसकी बारात दिल्ली गई थी। इस बात की जानकारी थी कि वह भोपाल, लखनऊ, दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में रहता है, लेकिन काम के बारे में कुछ नहीं पता। हमें बताया कि उसकी प्राइवेट बैंक में नौकरी है। इसी साल जुलाई में संदीप के छोटे भाई की शादी हुई थी इसलिए हरदी आया था। उसके बाद हमने उसे नहीं देखा। पिता बोले बाद में कॉल करता हूं दैनिक भास्कर ने इस पूरे मामले में संदीप चतुर्वेदी के पिता राम जी चतुर्वेदी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने पहले तो अपना परिचय देने से मना कर दिया जब भास्कर रिपोर्टर में संदीप चतुर्वेदी का नाम लिया तो उन्होंने कहा कि वह आएगा तो हम आपकी बात करवा देंगे। ऐसा बोलकर उन्होंने फोन काट दिया।