जबलपुर में पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जिसके सदस्य फर्जी रजिस्ट्री लगाकर बैंक से लोन लेते थे। बड़ी बात तो यह है कि इस गैंग को बैंक के अधिकारी ही चला रहे थे। गैंग बॉलीवुड मूवी ‘स्पेशल 26’ की तर्ज पर काम कर रहा था। जिस तरह फिल्म ‘स्पेशल-26’ के किरदार सिर्फ वारदात के वक्त ही इकट्ठा होते थे, बाकी समय अपनी नौकरी-बिजनेस में बिजी रहते थे, उसी तरह जबलपुर में पकड़े गए जालसाजों में से कोई बैंक में काम करता है, तो कोई प्राइवेट नौकरी। एमपी एसटीएफ ने अब तक इस गैंग के 9 मुख्य सदस्यों को गिरफ्तार किया है इसलिए इस गैंग को ‘स्पेशल-9’ कहा जा रहा है। आरोपियों के पास से करोड़ों रुपए की फर्जी रजिस्ट्री सहित आधार कार्ड, पैन कार्ड और सील बरामद की गई हैं। करीब 6 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया एसटीएफ का कहना है कि गैंग ने अभी तक लोन के नाम पर करीब 6 करोड़ रुपए शहर के अलग-अलग बैंकों से ठगे हैं। गिरोह के सदस्यों ने इतनी चालाकी से काम किया कि न तो बैंक अधिकारियों को जानकारी लगी और न ही उस व्यक्ति को, जिसके नाम की फर्जी रजिस्ट्री लगाकर लोन लिया गया। एसटीएफ के अधिकारियों का कहना है कि इस गिरोह के तार न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि अन्य राज्यों में भी फैले हुए हैं। 22 अगस्त को सभी 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड बनाया और लोन लिया जबलपुर के गढ़ा फाटक इलाके में रहने वाले सुमित काले ने 10 अगस्त को एसटीएफ को लिखित शिकायत की। इसमें बताया कि वह एक बिल्डर की कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता है। बिल्डर का सूखा पाटन में प्लॉटिंग का काम है। अधिकतर प्लॉट बिक चुके हैं, इसलिए साइट बंद कर दी गई है। बिके प्लॉट में से कुछ को बिना जानकारी के रिसेल किया गया है। सुमित ने कहा- मेरे फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड बनाकर हिंदुजा बैंक में किसी और को सुमित काले बनाकर खड़ा किया गया। एक प्लॉट की रजिस्ट्री जमा कर लाखों रुपए का लोन निकाला गया। सुमित ने एसटीएफ को बताया कि कुछ माह पहले एक बैंक कर्मचारी को लोन के लिए रजिस्ट्री की फोटो कॉपी दी थी, लेकिन लोन नहीं लिया था। एसटीएफ बैंक पहुंची। लोन के लिए जमा रजिस्ट्री को जब्त कर रजिस्ट्री कार्यालय से सत्यापन करवाया तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जमीन की रजिस्ट्री तो सुमित काले की थी, लेकिन उस पर फोटो विकास तिवारी की लगी थी। एक्सिस बैंक का प्लान मैनेजर है मास्टरमाइंड एसटीएफ को ये समझने में देर नहीं लगी कि ये काम फर्जी रजिस्ट्री के नाम पर बैंक से लोन लेने वाला गिरोह का है। सबसे पहले विकास तिवारी को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में विकास ने अपने गिरोह के सभी सदस्यों के नामों का खुलासा कर दिया। उसने बताया कि गैंग को एक्सिस बैंक का प्लान मैनेजर अनुभव दुबे और संदीप चौबे लीड करते थे। दोनों ही बैंक के अधिकारी है, इसलिए ये अच्छे से जानते थे कि कैसे दस्तावेज लगाकर लोन लिया जा सकता है। नाम बदलकर खुलवाते थे अकाउंट गिरोह का सदस्य प्रवीण पांडे अकाउंट होल्डर बनता था। कभी शेख सलीम तो कभी प्रवीण काले बनकर शहर के एक नहीं बल्कि कई बैंकों में खाते खुलवाए और फिर फर्जी रजिस्ट्री जमा कर लोन लिया। एक्सिस बैंक में अनुभव दुबे और हिंदुजा बैंक में संदीप चौबे की मदद से प्रवीण ने अलग-अलग नाम की फर्जी रजिस्ट्री लगाकर लोन लिए। गिरोह का एक और सदस्य पुनीत उर्फ राहुल पांडे माढोताल स्थित जना बैंक का कर्मचारी था। इसकी मदद से प्रवीण ने जना बैंक में 6 फर्जी रजिस्ट्री लगाकर करीब 1 करोड़ रुपए का लोन लिया। प्रवीण ने एक्सिस बैंक, जना बैंक, हिंदुजा बैंक, इंडिया शेल्टर हाउसिंग फाइनेंस से भी अच्छा खासा लोन लिया था। एसटीएफ की जांच में पुष्टि हुई है कि गैंग ने अभी तक करीब 6 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया है। निजी बैंक को चुनते थे आरोपी अनुभव दुबे और संदीप चौबे इस गैंग के लीडर थे। बैंक अधिकारी होने की वजह से दोनों जानते थे कि राष्ट्रीयकृत बैंक में केवाईसी कराने में बहुत परेशानी होती है, इसलिए उन बैंकों को चुना जाए जहां ई-केवाईसी नहीं होती है। गैंग के सदस्यों ने शुरुआत में सरकारी बैंकों को टारगेट किया लेकिन जब सफलता नहीं मिली और सर्च के दौरान लोन एप्लिकेशन रिजेक्ट हो गई तो प्राइवेट बैंकों को निशाना बनाना शुरू किया। एसटीएफ के मुताबिक, गैंग के सदस्य अभी तक एक्सिस बैंक से करीब 50 लाख, हिंदुजा बैंक से करीब 3 करोड़, जना बैंक से करीब 1 करोड़ और ग्रामीण सहकारी बैंक से करीब 50 लाख का फर्जी रजिस्ट्री लगाकर लोन ले चुके हैं। काम के हिसाब से बांटते थे पैसे गैंग में किसका क्या काम है, कितना कठिन है, उस हिसाब से पैसा बांटा जाता था। प्रवीण पांडे अकाउंट होल्डर था। लोन के लिए फर्जी रजिस्ट्री लगाने के बाद जो पैसा खाते में आता था, वह प्रवीण पांडे के नाम पर आता था। खाते में पैसा आने के बाद गिरोह के सभी नौ सदस्य इकट्ठा होते, फिर अनुभव, संदीप और विकास के इशारे पर रुपए का बंटवारा होता था। जिसकी जितनी ज्यादा मेहनत, उसे उतना ही बड़ा हिस्सा मिलता था। विकास तिवारी लोगों से लोन के लिए संपर्क करता था और उनकी रजिस्ट्री की फोटो काॅपी ले लिया करता था। इसके बाद अनुभव, पुनीत और संदीप रजिस्ट्री को चेक करने के बाद लकी उर्फ लखन प्रजापति की दुकान में लेकर जाते जहां पर फर्जी रजिस्ट्री तैयार की जाती थी। रजिस्ट्री में लगाए गए स्टाम्प भी कलर फोटो काॅपी मशीन से ऐसे तैयार किए जाते थे कि असली लगें। फर्जी रजिस्ट्री तैयार होने के बाद उसमें उप पंजीयक के सील-साइन अनवर लगाता था। अनवर 15 साल से जबलपुर कलेक्ट्रेट में काम कर रहा है। वह अच्छे से जानता है कि रजिस्ट्री में कितने का स्टाम्प लगता है और किस पेज में कहां सील लगाई जाती है। अनवर ने नकली सील भी तैयार कर रखी थीं। फर्जी रजिस्ट्री तैयार होने के बाद प्रवीण का काम होता था कि वह अलग-अलग नामों से बैंक में जाकर लोन के लिए आवेदन दे। मोहम्मद अनीस का काम होता था कि सभी लोगों से फर्जी रजिस्ट्री इकट्ठा कर अपने पास रखें और समय आने पर उस रजिस्ट्री को प्रवीण पांडे को दे। 50 से अधिक फर्जी रजिस्ट्रियां मिलीं एसटीएफ ने एक साथ गिरोह के सभी 9 सदस्यों के ठिकानों में छापा मारा तो 50 से ज्यादा फर्जी रजिस्ट्री, पैन और आधार कार्ड, कम्प्यूटर, फोटो शॉप मशीन, मोबाइल और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिले। एसटीएफ के मुताबिक, ये लोग एक साथ फर्जी रजिस्ट्रियां तैयार कर रख लेते थे, फिर जरूरत के हिसाब से शहर के अलग-अलग बैंकों में लोन के लिए फाइल लगा देते थे। एसटीएफ को उम्मीद है कि गिरोह में और भी सदस्य हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। गैंग के ये सदस्य गिरफ्तार