मध्यप्रदेश में पहली बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 26 अगस्त को स्कूल खुलेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश में कहा है कि जन्माष्टमी के दिन स्कूलों में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा और मित्रता के प्रसंगों पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इससे पहले सरकार ने जन्माष्टमी के दिन अवकाश घोषित किया था। शासकीय शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने बताया कि आम तौर पर जन्माष्टमी पर छुट्टी होती है। लेकिन इस बार हमारे सामने दो आदेश हैं। पहले आदेश में शासन ने सरकारी अवकाश घोषित किया है। वहीं, दूसरे आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही है। भोपाल में सुबह 11 बजे बरखेड़ी से चल समारोह चलेगा। यहां से यह एक्सटॉल कॉलेज, जिंसी चौराहा, अहीर मोहल्ला, शब्बन चौराहा, लिली टॉकीज से होता हुआ जहांगीराबाद में शाम करीब 5 बजे खत्म होगा। भोपाल में लखेरापुरा से निकलने वाले चल समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल होंगे। भोपाल के स्कूलों में होंगे धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम भोपाल जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहिरवार ने बताया- शासन के आदेश का पालन करते हुए सभी शासकीय और अशासकीय स्कूलों को सूचना दे दी गई है। स्कूलों में आदेशानुसार कार्यक्रम किए जाएंगे। जनप्रतिनिधियों को भी बुलाया जाएगा। कई तरह की नाट्य प्रस्तुतियां और भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित कार्यक्रम किए जाएंगे। भोपाल में एक्सीलेंस स्कूल के प्रिंसिपल सुधाकर पाराशर ने कहा, ‘शासन के आदेश आए हैं कि इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम होना है। हमने जनप्रतिनिधियों से भी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए संपर्क किया है।’ हमीदिया गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल विमला शाह ने कहा कि शासकीय आदेश का पालन करते हुए स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उज्जैन में भी सोमवार को खुलेंगे स्कूल सावन के महीने में सोमवार को महाकाल की सवारी होने के चलते उज्जैन में अवकाश घोषित किया गया था। नए सरकारी आदेश के बाद सोमवार को स्कूल खुलेंगे और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। ऐसे में अब रविवार और सोमवार दोनों दिन स्कूल खुलेंगे। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा कि सोमवार को सभी स्कूल सुबह कुछ देर के लिए खोलकर धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन करने के बाद छुट्टी कर दी जाएगी। जन्माष्टमी पर यहां विशेष आयोजन… सांदीपनि आश्रम, उज्जैन: भगवान श्रीकृष्ण ने यहां शिक्षा ग्रहण की माना जाता है कि उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की थी। सुदामा, भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की तीन मूर्तियां यहां स्थापित हैं। आश्रम में एक मंदिर भी है, जिसे सर्वेश्वर महादेव कहा जाता है। यहां 6000 साल पुराना शिवलिंग है। इसमें शेषनाग अपने प्राकृतिक रूप में हैं। माना जाता है कि गुरु सांदीपनि और उनके शिष्य यहां पूजा करते थे। आश्रम में गोमती कुंड नाम का तालाब है, जिसमें भगवान कृष्ण ने पवित्र केंद्रों से जल इकट्ठा किया था ताकि गुरु सांदीपनि को पूजा-पाठ में आसानी हो। यहां आने वाले इस भक्त तालाब का पानी घर ले जाते हैं। नारायण धाम, महिदपुर: यहां श्रीकृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई नारायण धाम उज्जैन जिले में महिदपुर तहसील मुख्यालय से करीब 9 किमी दूर है। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जिसमें श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ विराजे हैं। नारायण धाम मंदिर में कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर पर भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि नारायण धाम के पेड़ उन्हीं लकड़ियों से फले-फूले हैं, जो श्रीकृष्ण और सुदामा ने एकत्रित की थीं। एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है, जहां नारायण धाम है। ये वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई। यह गरीबी और अमीरी की मित्रता का सबसे श्रेष्ठ स्थान है। अमझेरा धाम, धार: श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने जिस स्थान से माता रुक्मिणी का हरण किया था, वो अमका-झमका मंदिर धार जिले के अमझेरा में है। यह मंदिर 7000 साल पुराना है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह मंदिर रुक्मिणी जी की कुलदेवी का था। वो यहां पूजा करने आया करती थी। 1720 में इस मंदिर का राजा लाल सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था। पौराणिक युग में इस जगह को कुंदनपुर के नाम से जाना जाता था। रुक्मिणी वहीं के राजा की पुत्री थीं। उसके बाद मंदिर के नाम से इस जगह को अमझेरा कहा जाने लगा। जानापाव, इंदौर: परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया जानापाव को भगवान परशुराम की जन्मस्थली माना जाता है। यह इंदौर के महू के पास है। पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवान श्री कृष्ण ने परशुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था। जब भगवान श्रीकृष्ण 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव आए थे। वहां परशुराम ने कृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र दिया। शिव ने यह चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णु को दे दिया था।