एमजीएम मेडिकल के डीन डॉ.संजय दीक्षित ने माफी मांगते हुए आदिवासी मेडिकल छात्रा को डॉक्यूमेंट लौटा दिए हैं। इंदौर हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर डीन को नोटिस जारी किए हैं। जिस पर सितंबर में सुनवाई होने वाली है। इससे पहले ही छात्रा को कागजात दे दिए गए। बता दें कि पहले कागजात लौटाने के नाम पर छात्रा से 30 लाख रुपए मांगे गए थे। जिसे कोर्ट ने गलत ठहराया था। लेकिन कोर्ट ऑर्डर के 2 महीने बाद भी छात्रा को कागजात वापस नहीं किए गए थे। इस पर छात्रा ने अवमानना याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। जानिए क्या है पूरा मामला… 2 साल तक पढ़ाई के लिए किया एनओसी का इंतजार डॉ.अदिति धुर्वे को 2022 में एमजीएम कॉलेज इंदौर में MD रेडियोथेरेपी की सीट आवंटित हुई थी। उन्होंने दस्तावेज भी जमा किए। नियमानुसार,सरकारी नौकरी के साथ पढ़ाई के लिए CMHO नरसिंहपुर और आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग भोपाल से NOC लेना जरूरी है। दो साल के इस कोर्स के लिए उसे आखिरी तक अनुमति नहीं मिली और वह एडमिशन के बावजूद पढ़ाई नहीं कर पाई। ऐसी परिस्थिति में हालांकि छात्रा जिम्मेदार नहीं मानी जा सकती। लेकिन जब NOC नहीं मिलने पर डॉ. अदिति धुर्वे पढ़ाई नहीं कर सकी तो वो अपने मूल दस्तावेज लेने के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज गई, जो एडमिशन के दौरान उसने जमा कराए थे। यहां प्री पीजी नियमों के अनुसार सीट खाली छोड़ने या छूटने की स्थिति में 30 लाख रुपए की मांग कॉलेज की तरफ से की गई। कॉलेज प्रबंधन ने 3 मई 2024 को उसे मूल दस्तावेज वापस करने से लिखित रूप से इनकार कर दिया। इंदौर हाईकोर्ट ने ऑर्डर किए लेकिन कागजात नहीं मिले डॉ.अदिति ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई और बिना रुपए दिए डॉक्यूमेंट दिलाने की मांग की। याचिकाकर्ता छात्रा की तरफ से वकील आदित्य संघी ने कोर्ट में पक्ष रखा। कोर्ट को बताया कि एनओसी के इंतजार में छात्रा पढ़ाई नहीं कर सकी। इसके लिए वो दोषी नहीं है। उसने सीट नहीं छोड़ी है। उसे तो पढ़ने से वंचित रखा गया, ऐसे में कागजात के एवज में 30 लाख लेने का सवाल ही नहीं उठता। वकील की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डॉ. अदिति को अंतरिम राहत दी। 30 मई 2024 को एमजीएम मेडिकल को निर्देश दिया कि कॉलेज को 30 लाख रुपए लिए बिना मूल दस्तावेज लौटाने होंगे। साथ ही प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा भोपाल, नेशनल मेडिकल कमीशन, कमिश्नर हेल्थ, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन, भोपाल, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का नोटिस भी जारी किया। डीन ने मांगी माफी आदिवासी छात्रा को डॉक्यूमेंट के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट के द्वारा बहुत परेशान किया गया। बिना रुपए लिए डीन डॉक्यूमेंट लौटाने को तैयार नहीं थे। छात्रा ने कोर्ट से मदद मांगी थी। कोर्ट ने छात्रा के पक्ष में ऑर्डर किया फिर भी डीन ने डॉक्यूमेंट नहीं लौटाए।