श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को है। लड्डू गोपाल व राधा-कृष्ण के लिए व्यापारियों ने पोशाक मथुरा, वृंदावन तो शृंगार सामग्री नाथद्वारा से बुलवाई है। राजकोट के झूले भी बाजार में बड़ी संख्या में बिक रहे हैं। बाल गोपाल को गर्मी न लगे इसके लिए बैटरी चलित छोटे पंखे-कूलर की भी बहुत मांग है। रानीपुरा, मारोठिया, सांठा बाजार, बजाज खाना चौक, राजबाड़ा से लेकर शहर के प्रमुख बाजार बाल गोपाल की मूर्ति, शृंगार सामग्री, झांकी की सजावट के सामान से गुलजार हैं। 90 फीसदी सामग्री उत्तरप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल व राजस्थान से बुलवाई है। थोक व्यापारी पुंडरीक पालरेचा के मुताबिक लड्डू गोपाल के लिए सजावट सामग्री सबसे अधिक बिकती है। इनकी पोशाक डबल जीरो साइज से लेकर 10 नंबर तक होती है। वस्त्र मथुरा, वृंदावन, कोलकाता, बनारस व सूरत से आए हैं। नाथद्वारा से शृंगार सामग्री सबसे अधिक आती है। धातु की मूर्तियां अलीगढ़ से तो झूले राजकोट से आते हैं। लोग चांदी, मेटल या पीतल के झूले भी खरीदते हैं। एक टन माखन की खपत, पंजीरी की भी मांग व्यापारी भरत मथुरावाला ने बताया लड्डू गोपाल को भोग में माखन-मिश्री चढ़ाई जाती है। शहर में जन्माष्टमी पर करीब एक टन माखन की खपत होती है। मालवा मिल व्यापारी सुरेश गोयल ने बताया जन्माष्टमी पर प्रसाद के रूप में पंजीरी ही सबसे अधिक बांटी जाती है। झांकी में रंग-बिरंगी सामग्री रानीपुरा के व्यापारी सागर अग्रवाल ने बताया, सजावट सामग्री में सबसे अधिक मांग मोती के साथ गेंदे, गुलाब व मोगरा के प्लास्टिक फूल और पत्तियों की मालाओं की है। व्यापारी संजय तेजवानी कहते हैं, शृंगार के लिए माला, मुकुट, साफा, बांसुरी, गादी, तकिए, बाल और नेत्र, हाथ-पैर के कड़े, कुंडल, आसन, सिंहासन खरीद रहे हैं। खाटू श्याम के लिए सेंट भी मारोठिया के व्यापारी राजू सुगंधी ने बताया खाटू श्याम के भक्त इत्र-सेंट खरीद रहे हैं। वे भजन संध्या से लेकर खाटू श्याम के मंदिर तक इत्र का छिड़काव करते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि कृष्णजी के दरबार में इत्र महकता तो है एक अलग ही आनंद मिलता है। मुकुट सजाने के लिए मोर पंख भी काफी बिक रहे हैं। व्यापारी कीर्तन ठाकुर व छोटू सिसौदिया ने बताया, 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक के मोर पंख हैं।