एम्स : अब सिद्ध चिकित्सा से शिशु-स्त्री रोगों का इलाज

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एम्स में अब प्राचीन सिद्ध चिकित्सा पद्धति से भी इलाज मिलेगा। 27 अगस्त से ये सुविधा एम्स के आयुष भवन में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक मिलेगी। सिद्ध और आयुर्वेद में बड़ा अंतर ये है कि सिद्ध औषधि को बनाने में जड़ी-बूटियों के अलावा धातु-खनिज पदार्थों जैसे सल्फर, अभ्रक, पारा आदि का इस्तेमाल किया जाता है। सिद्ध दवाइयों की 3 श्रेणी हैं। पहली जड़ी-बूटियों (हर्बल) से बनी दवा। दूसरी इनऑर्गेनिक पदार्थों से बनी दवा और तीसरी जानवरों के उत्पादों से बनी दवा। एम्स में सिद्ध पद्धति से तंत्रिका, त्वचा रोग, श्वसन रोगके अलावा शिशु रोग, स्त्री रोग और मनोरोग का भी उपचार किया जाएगा। तमिलनाडु और केरल में सिद्ध चिकित्सा से इलाज किया जाता है।