जम्मू कश्मीर में कांग्रेस एवं नेशनल कांफ्रेंस के मध्य हुए गठबंधन पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि फारूख अब्दुल्ला और कांग्रेस का एक साथ आना इस ओर इशारा है कि कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस के घोषणा पत्र के अनुसार अलग झंडे के वादे का समर्थन करती है। देश की जनता को कांग्रेस को बताना चाहिए कि क्या वह धारा 370 और 35ए को पुनः कश्मीर में लाना चाहती है? क्या कांग्रेस चाहती है कि शंकराचार्य पर्वत को तख़्त-ए-सुलेमान और हरि पर्वत को कोह-ए-मारन के नाम से जाना जाए? मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के बीच विभाजन का काम कांग्रेस ने लंबे समय तक किया है, जिसमें नेशनल कांफ्रेंस की भी बड़ी भूमिका रही है। अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस से गठबंधन कर कश्मीर के माध्यम से पूरे देश में अराजकता पैदा करना चाहती है। नेशनल कांफ्रेंस की सोच के अनुरूप कांग्रेस कश्मीर पर पाकिस्तान से पुनः वार्तालाप करना चाहती है। डॉ. यादव ने कहा कि कश्मीर आज विकास के अलग दौर में पहुंच चुका है और पूरे देश के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना चाहता है। कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति के कारण कश्मीर में दलितों, गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ियों के आरक्षण को समाप्त कर देने का षड़यंत्र रच रही है। इस अपवित्र गठबंधन से स्पष्ट है कि कांग्रेस की मंशा पवित्र गुफा बाबा अमरनाथ यात्रा पर फिर से संकट के बादल मंडराने की है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कांग्रेस को उन कारणों पर विचार करना चाहिए, जिनके चलते कश्मीर में अब तक हजारों निर्मम हत्या की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि धारा 370 और 35ए ही कश्मीर में अशांति की मुख्य वजह रही हैं और दुर्भाग्य से कांग्रेस ने जिस नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन किया है, वह इन दोनों धाराओं को फिर से लागू करने की बात करती है।
आज जब कश्मीर बदल रहा है और विकास के रास्ते पर चल रहा है, तब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी अराजक और अलगाववादी तत्वों के साथ अपनी राजनैतिक अवसरवादिता के लिए हाथ मिला रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चुनाव की राजनीति में दलों की सीमाएं हो सकती हैं, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दों पर कांग्रेस को समझौता नहीं करना चाहिए। डॉ. यादव ने कहा कि देश की जनता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से यह जानना चाहती है कि कांग्रेस के निजी स्वार्थ क्या राष्ट्रहित से ऊपर हैं ?