फरार स्कूल संचालकों पर इनाम घोषित:विदेश में छिपे होने की आशंका,स्टेमफील्ड,सेंट अलाॅयसिस,चैत्नयटैक्नों स्कूल प्रबंधन एफआईआर के बाद से फरार

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मनमानी फीस वसूली और किताब- कॉपी में कमीशन खोरी करने के मामले में जबलपुर कलेक्टर के निर्देश पर पुलिस प्रशासन ने कई स्कूलों पर कार्रवाई की थी। इस दौरान स्कूल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया, जबकि कुछ अभी भी फरार है, जिन्हें कि पुलिस लंबे समय से तलाश कर रही है, लिहाजा ऐसे स्कूल संचालक जो कि फरार है, उन पर एसपी जबलपुर ने इनाम घोषित किया है। जबलपुर के स्टेमफील्ड इंटरनेशनल स्कूल, सेंट अलोयसिस स्कूल, श्री चेतन टेक्नो स्कूल के पदाधिकारी वा प्राचार्य लंबे समय से फरार है लिहाजा इन सभी पर जबलपुर एसपी ने 5-5 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है यह सभी आरोपी बीते 3 माह से फरार है आशंका यह भी जताई जा रही है कि सभी आरोपी विदेश भाग गए हैं और वहां किसी शहर में छिपे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल की अध्यक्ष मधुरानी जायसवाल, निदेशक और सचिव पर्व जायसवाल और पर्व की पत्नी सुप्रिया जयसवाल फरार है और संभवत विदेश में फरारी काट रहे है। इसके साथ ही सेंट अलोयसिस सीनियर सेकेंडरी स्कूल रिमझा के सचिव व सेंट अलायसिस के प्राचार्य सीबी जोसेफ और फादर जॉन वाल्टर, धनवंतरी नगर थाने में दर्ज मामले में चैतन्य टेक्नो स्कूल के अध्यक्ष संजीव गर्ग, प्राचार्य और सचिव जी रविंद्र, डायरेक्टर बोपन्ना सीमा और बोपन्ना सुषमा पर इनाम घोषित किया गया है। जबलपुर एसपी का कहना है जल्द ही इन सभी की गिरफ्तारी की जाएगी।
मनमानी फीस वसूली और किताब कॉपियों में कमीशन खोरी के मामले में जबलपुर कलेक्टर के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने 27 मई को माढ़ोताल, ओमती, गोरा बाजार, बरेला, गौरी घाट, बेलबाग, धनवंतरी नगर और भेड़ाघाट थाने में 11 स्कूलों के प्राचार्य, मैनेजर, डायरेक्टर, बुक सेलर और बुक प्रकाशक समेत 80 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इन सभी स्कूलों पर आरोप लगा था कि इन्होंने मनमानी फीस बिना प्रशासन की जानकारी दिए बढ़ा दी थी। जांच में यह भी बात सामने आई थी कि स्कूलों में लगने वाली 80% तक की नई किताब में फर्जी, डुप्लीकेट आईएसबीएन नंबर थे।जांच के दौरान प्रकाशक और बुक विक्रेताओं की स्कूल प्रबंधन से मिलीभगत भी उजागर हुई थी। पुलिस ने जांच में यह भी पाया कि स्कूल संचालकों ने कमीशन खोरी के चक्कर में ऐसी किताबें को पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया था जो कि छात्रों के लिए जरूरी नहीं थी और उसकी पढ़ाई का कोई मतलब भी नहीं था इन किताबों को बुक स्टोर संचालकों ने महंगी दामों में भेजा और उसे कमीशन बुक स्टोर और स्कूल दोनों ने रखा।