मध्य प्रदेश में पावर प्लांट लगाने वाली निजी कंपनियां राज्य सरकार के 395 करोड़ रुपए दबाकर बैठी हैं। जल संसाधन विभाग के अफसर इन कंपनियों से बकाया राशि की वसूली नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में अब कलेक्टरों और तहसीलदारों की मदद से राशि वसूली कराने के निर्देश विभाग के अफसरों को दिए हैं। जल संसाधन विभाग की ओर से निर्देश दिए जाने के बाद अब जिलों में पावर प्लांट चलाने वाली निजी कंपनियों के विरुद्ध तहसीलदारों के माध्यम से आरआरसी जारी की जाएगी। बकाया वाटर टैक्स जमा नहीं कर रही फैक्ट्रियां निजी पावर प्लांट लगाने वाली कंपनियों को राज्य शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा नदियों का जल प्रदाय किया जाता है। इसके लिए हर साल दी जाने वाली जल की मात्रा हर फैक्ट्री के हिसाब से तय होती है। जल संसाधन विभाग द्वारा इसका रिन्यूवल भी हर साल किया जाता है ताकि पावर जनरेशन का काम प्रभावित नहीं होने पाए लेकिन सरकार का पानी ले रहीं फैक्ट्रियां बकाया वाटर टैक्स जमा नहीं कर रही हैं। इसका असर सरकार को मिलने वाली राजस्व पर पड़ रहा है। अब जल संसाधन विभाग के वित्तीय सलाहकार ने प्रमुख अभियंता को एडवाइज किया है कि मई माह की स्थिति में बकाया 395 करोड़ 77 लाख रुपए की वसूली के लिए कार्यपालन यंत्रियों को निर्देश जारी किए जाएं। अगर फैक्ट्री संचालक बकाया जमा नहीं कर रहे हैं तो उन्हें नोटिस जारी किए जाएं और जल आपूर्ति बंद करने का फैसला किया जाए। मुख्य अभियंताओं से कहा- वसूली कराओ प्रमुख अभियंता से कहा गया है कि ऐसे बकायादारों को तहसीलदारों से आरआरसी जारी कराकर जलकर की राशि वसूली की जाए क्योंकि इतनी अधिक रकम की वसूली नहीं हो पाना सरकार के हित में नहीं है। इसके लिए प्राथमिकता के आधार पर वसूली कार्यवाही कराई जानी चाहिए। वित्तीय सलाहकार के पत्र के बाद प्रमुख अभियंता जल संसाधन ने चंबल बेतवा कछार भोपाल, गंगा कछार रीवा, धसान केन कछार सागर, बैनगंगा कछार सिवनी, जल संसाधन विभाग नर्मदापुरम के मुख्य अभियंताओं को पत्र लिखकर बकाया वसूली कराने के निर्देश जारी किए हैं।